Dy CM पद के बाद बिहारी सियासत से भी मोदी को BJP ने किया किनारा

भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ( Sushil Modi) ने राज्यसभा के लिए अपना नामांकन भरा. मोदी को उनकी पार्टी ने उपमुख्यमंत्री पद से वंचित कर देने के बाद उन्हें राज्यसभा में भेज रही है.

ऐसे में यह माना जा रहा है कि भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने बिहार भाजपा में उनके वर्चस्व को समाप्त करने की दिशा में काम कर रही है. पहले उपमुख्यमंत्री पद से वंचित करना और फिर उन्हें राज्यसभा में भेजने का फैसला उसी की कड़ी माना जा रहा है.

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लगता है नीतीश कुमार ने भी भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के इस कदम को भांप लिया है. तभी तो उन्होंने नामांकन के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि सुशील मोदी ने लंबे समय तक बिहार की सेवा की है. अब मोदी सरकार उन्हें केंद्र में ले जाना चाहती है. हम उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं.

उधर सुशील मोदी को भी यह बखूबी एहसास हो चुका है कि अब धीरे-धीरे बिहार में उनका वह वर्चस्व नहीं रहेगा जो अब तक था. पिछले दिनों मोदी ने एक बयान में कहा था कि बिहार सरकार उनकी आत्मा में बसती है.

केंद्रीय नेतृत्व के इस फैसले से सुशील कुमार मोदी का दर्द छलक आया था. उन्होंने कहा था कि उनसे भाजपा कार्यकर्ता का पद कोई नहीं छीन सकता.

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सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि वे केंद्र में रहकर बिहार की मदद करते रहेंगे. नीतीश कुमार ने कहा कि सुशील मोदी राज्यसभा चुनाव जीत कर रिकार्ड बनाने वाले हैं. वे लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद सभी जगह सदस्य रह चुके हैं.

सुशील कुमार 1990 से बिहार की सियासत में प्रभावशाली रहे हैं. उन्होंने अनेक वर्षों तक नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई और भाजपा का बिहार में प्रतिनिधित्व किया. 2005 में जब नीतीश की सरकार बनी तो वह कमोबेश 15 वर्षों तक उपमुख्यमंत्री रहे. इस बार चुनाव में उन्हें इस पद से पार्टी ने वंचित कर दिया है और राज्य सभा में भेज कर बिहार की सियासत से अलग करने की कोशिश की है.

पटना आयुक्त कार्यालय में उनके नामांकन के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद डॉ. संजय जायसवाल, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी समेत कई मंत्री मौजूद रहे.

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