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उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि राज्य में बनने वाले नये बड़े भवनों में वर्षा जल संचयन को अनिवार्य किया जाएगा।
श्री मोदी ने यहां ए. एंन. कॉलेज परिसर में ‘वन महोत्सव’ के दूसरे दिन पौधारोपण के बाद आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सरकारी भवनों, अस्पतालों और विद्यालयों में वर्षा जल का संचयन कर भूमिगत-जल स्तर को बढ़ाया जायेगा। उन्होंने कहा कि नए बनने वाले बड़े भवनों में भी वर्षा जल संचयन को अनिवार्य किया जायेगा।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सभी तालाबों की मैपिंग करा ली गयी है। एक महीने के अंदर उन्हें अतिक्रमण मुक्त कर उड़ाही का अभियान चलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य के अन्य सभी जल स्रोतों का भी पुन: उद्धार किया जायेगा।
श्री मोदी ने आह्वान किया कि हर परिवार एक पौधा जरूर लगायें और संरक्षण कर उसे पेड़ बनायें। उन्होंने पौधारोपण के अभियान को जन आंदोलन बनाने की अपील करते हुये कहा कि पहले ही निर्णय लिया जा चुका है कि सड़क और भवनों के निर्माण के लिए अब कोई पेड़ नहीं कटेगा। यदि बहुत मजबूरी की स्थिति में कोई पेड़ काटना पड़ा तो उससे कई गुना अधिक पेड़ लगाये जायेंगे। उन्होंने बताया कि आर ब्लॉक-दीघा फोरलेन सड़क से कई बड़े पेड़ों का प्रत्यारोपण हैदराबाद की एक कंपनी की सहायता से सगुना मोड़ के आसपास कराया जा रहा है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक तापन के दुष्प्रभावों से आगाह करते हुए कहा कि अनियंत्रित विकास और प्रकृति के दोहन का नतीजा है कि आज पृथ्वी संकट में है। भारत सहित दुनिया के अनेक हिस्सों में आज पानी का संकट उत्पन्न हो गया है। इस साल बिहार के जल प्रचूरता वाले दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर जिलों में नवंबर- दिसंबर के महीने में टैंकर से पानी पहुंचाना पड़ा। उन्होंने कहा, “पर्यावरण की कीमत पर हमें विकास स्वीकार नहीं है।”
श्री मोदी ने कहा कि पृथ्वी को बचाना है तो पेड़ लगाना और उन्हें बचाना होगा। एक पेड़ जल का संचयन, मिट्टी संरक्षण के साथ ही बाढ़, सुखाड़, तूफान, लू के कुप्रभावों को कम करता है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में पेड़ की महत्ता सर्वविदित है। एक पेड़ 10 संतानों के बराबर होता है इसलिए केवल पौधा लगाए ही नहीं बल्कि वृक्ष बनाने तक उसकी चिन्ता करें।