पंचायती राज में महिलाओं के 50 प्रतिशत आरक्षण से प्रशासनिक और राजनीतिक ढांचे में काफी बदलाव आया है। आधे से अधिक पदों पर महिलाओं का कब्‍जा हो गया है। जिला परिषद के अध्‍यक्ष पद पर तीन चौथाई यानी करीब 75 फीसदी सीटों पर महिलाएं आसीन हो गयी हैं। 38 जिला परिषद में से 27 जिलों में चेयरमैन महिलाएं हैं।dsfds

वीरेंद्र यादव 

महिला राज में पुरुषों के बढ़ते हस्‍तक्षेप की शिकायत लगातार प्रशासन को मिल रही है। इसकी शिकायत पंचायती राज विभाग और पंचायती राज निदेशालय तक पहुंचने लगी है। इसको लेकर विभाग दिशा निर्देश जारी करने की तैयारी कर रहा है। प्राप्‍त जानकारी के अनुसार, महिला जनप्रतिनिधियों के नाम पर उनके करीबी परिजन खास कर पति, पुत्र, ससुर या पिता अपनी राजनीति चमका रहे हैं। कई बैठकों में वे ही शामिल हो रहे हैं। इस संबंध में शिकायत कई वरीय अधिकारियों तक पहुंची है। वाहनों पर जिला परिषद अध्‍यक्ष का नेमप्‍लेट टांग कर महिला जिला परिषद अध्‍यक्षों के पति या अन्‍य परिजन घुम रहे हैं। इस कारण कई बार अधिकारियों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है।

 

पंचायती राज निदेशालय मिल रही शिकायतों के आलोक में सख्‍त कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। जिला परिषद अध्‍यक्ष या प्रमुख का नेम प्‍लेट लगे वाहन में पदधारक का उपस्थि‍त होना अनिवार्य होगा। यदि वे वाहन में नहीं होंगे तो नेम प्‍लेट को ढंक कर रखना होगा। इसके साथ ही, यह भी व्‍यवस्‍था की जा रही है कि आधिकारिक बैठकों में महिला प्रतिनिधियों के परिजन शामिल नहीं होंगे। हालांकि यह गाइड लाइन पहले से ही है, लेकिन इसे और सख्‍ती से लागू किया जाएगा। इसके अलावा भी कई अन्‍य गाइड लाइनों पर विचार किया जा रहा है, जिससे महिला जनप्रतिनिधियों की भूमिका में उनके परिजनों का हस्‍तक्षेप कम किया जा सके।

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