करीब तीन महीने से सीबीआई के भीतर जारी आंतरिक घमासान पर मोदी सरकार ने विराम लगा दिया है। आज CBI चीफ आलोक वर्मा को उनके पद से हटा दिया गया है। पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यों वाली उच्चस्तरीय कमिटी ने यह बड़ा फैसला लिया।

आलोक वर्मा

नौकरशाही डेस्क

सेलेक्शन पैनल की बैठक के बाद का तबादला कर दिया गया। बैठक में पीएम मोदी, लोकसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और जस्टिस एके सीकरी शामिल थे। जस्टिस सीकरी देश के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की तरफ से उपस्थित हुए। यह अहम बैठक दो घंटे से अधिक समय तक चली और आखिरकार आलोक वर्मा पर गाज गिरी। सीबीआई के 55 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है।

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बताते चलें कि आलोक वर्मा का सीबीआई में कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म हो रहा था। मगर अब 1979 की बैच के आईपीएस अफसर वर्मा को अब सिविल डिफेंस, फायर सर्विसेस और होम गार्ड विभाग का महानिदेशक बनाया गया है। वहीं, नागेश्वर राव दोबारा सीबीआई चीफ बन गए हैं।

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गौरतलब है कि सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा औैर विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगााए थे जिसके बाद उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया था। बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के फैसले को गलत बताते हुए उन्हें पद पर फिर से बहाल कर दिया था। हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा था कि आलोक वर्मा कोई भी नीतिगत फैसला नहीं ले सकते हैं और न हीं किसी जांच का जिम्मा संभाल सकते हैं।

इसके वर्मा ने बुधवार को दोबारा पदभार संभालते हुए एम नागेश्वर राव द्वारा किए गए ज्यादातर तबादले रद कर दिए थे। मालूम हो कि राव वर्मा की अनुपस्थिति में अंतरिम सीबीआई प्रमुख नियुक्त किए गए थे।

 

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