मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अस्वस्थता के कारण उनके परामर्शी अंजनी कुमार सिंह ने राज्य में लागू शराबबंदी नीति, उसका कार्यान्वयन एवं प्रभाव का अध्ययन करने के लिए छत्तीसगढ़ से आये ग्यारह सदस्यीय दल से मुलाकात की।

मुख्यमंत्री के परामर्शी,  नीति एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन श्री सिंह ने संकल्प सभागार में राज्य में लागू मद्य निषेध नीति, उसका कार्यान्वयन एवं प्रभाव का अध्ययन करने के लिए छत्तीसगढ़ से आये ग्यारह सदस्यीय दल से मुलाकात की और उनके साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया। श्री सिंह ने अध्ययन दल को बिहार में शराबबंदी लागू करने के दौरान किए गए प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि राज्य में शराबबंदी लागू करना बहुत ही कठिन काम था। यहां के कुछ पढ़े लिखे वर्ग तथा अलग-अलग लॉबी के लोग इसके विरोध में थे। शराब से प्राप्त होने वाले बहुत बड़े राजस्व की हानि, पर्यटन पर बुरा प्रभाव जैसे कई कारण इसे बंद नहीं करने के पक्ष में बताए गए लेकिन मुख्यमंत्री श्री कुमार की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण 05 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई।

श्री सिंह ने बताया कि 09 जुलाई 2015 को एक कार्यक्रम में कुछ महिलाओं की मांग पर मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की थी कि अगली बार सरकार में आते ही राज्य में शराबबंदी लागू की जाएगी। चुनाव के बाद सत्ता में आते ही श्री कुमार ने इसके लिए पदाधिकारियों एवं अन्य लोगों से विचार-विमर्श किया। शिक्षा विभाग के द्वारा गाना, नाटक एवं कला जत्था के द्वारा गांव-गांव तक अभियान चलाया गया। शपथ पत्र भरवाया गया, दीवारों पर नारे लिखवाए गए। इन सब चीजों से समाज में शराब के खिलाफ एक वातावरण बना। उन्होंने बताया कि सरकार ने यह विचार किया कि शराबबंदी को चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाए।

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