केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू के शामिल नहीं किये जाने के बाद से पार्टी का ‘मीडिया ब्रिगेड’ आहत है। सरकार में शामिल नहीं होने का जितना मलाल नीतीश कुमार या आरसीपी सिंह को नहीं होगा, उससे ज्‍यादा मलाल उनके प्रवक्‍ताओं को है।

जदयू के कई प्रवक्‍ता 2 सितंबर को ही दिल्‍ली पहुंच चुके थे। किसी ने हवाई यात्रा की तो किसी ने ट्रेन की यात्रा की। एकाध प्रवक्‍ता चार पहिया वाहन से दिल्‍ली रवाना हो गये। सभी को आरसीपी सिंह के प्रति अपनी वफादारी जतानी थी। प्रवक्‍ता एनडीए में जदयू के शामिल होने के बाद बिहार को होने वाले फायदे गिनाने के लिए दिल्‍ली गये थे। जो पटना में बच गये थे, वह भी फायदों की लिस्‍ट पर होम वर्क कर रहे थे। लेकिन भाजपा ने ऐसी ‘दुर्गति’ की कि सभी उम्‍मीदों पर पानी फिर गया। भाजपा ने जदयू प्रवक्‍ताओं की जुबान ही छीन ली। महागठबंधन में असहज महसूस कर रहे प्रवक्‍ता केसी त्‍यागी ने बड़ी ही ‘सहजता’ से कहा कि भाजपा का आंतरिक फेरबदल है।

इधर, लालू यादव ने सरकार में जदयू के शामिल नहीं किये जाने पर अपने अंदाज में नीतीश कुमार पर हमला किया। लेकिन उनके हमले पर जदयू के किसी प्रवक्‍ता ने जुबान नहीं खोली। जिसने जुबान खोली, वह भी ‘जुबान पर जेब’ लगा रखा था। महागठबंधन के दौर में सुशील मोदी के खिलाफ और अब लालू यादव के खिलाफ अमर्यादित भाषा के इस्‍तेमाल करने वाले प्रवक्‍ता भी आज चुप रहे। यह अलग बात है कि लालू यादव के आरोपों का जवाब देने के लिए भाजपा के सुशील मोदी और नित्‍यांनद राय को आगे आना पड़ा।

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