ये तलवारें पटना, नालंदा और औरंगाबाद की पुलिस ने  बरामद की है. पटना की काेतवाली पुलिस ने 15 सितंबर 18 काे लगभग एक हजार तलवाराें समेत कई धारदार हथियारों के साथ चार लाेगाें काे गिरफ्तार भी किया है. लोकतांत्रिक जन पहल ने इस बात पर आशंका जताई है कि भाजपानीत नीतीश सरकार के दबाव में पुलिस प्रशासन इन अपराधियों के प्रति नरम रूख अपनायेगी.
लाेकतांत्रिक जन पहल, बिहार
कंचन बाला, अधिवक्ता  अशाेक कुमार, मणिलाल, अधिवक्ता बेबी कुमारी, बिन्दु कुमारी, प्रतिमा कुमारी, सुनीता कुमारी सिन्हा, रेशमा प्रसाद, विनाेद रंजन, प्रवीण कुमार मधु, रणविजय, अधिवक्ता प्रगति अानंद, अधिवक्ता सावित्री देवी, अशाेक वर्मा, अजीत कुमार वर्मा, साैदागर, अशर्फी सदा, अरविंद यरवदा, अभिनव, मिथिलेश कुमार दीपक, अधिवक्ता शैलेन्द्र प्रताप, मनहर कृष्ण अतुल और सत्य नारायण मदन द्वारा प्रेषित बयान.
लोकतांत्रिक जनपहल का कहना है कि  गत रामनवमी में तलवाराें से लैस जुलूसाें के प्रति पुलिस की लापरवाही के विनाशकारी परिणाम हम भुगत चुके हैं. हमारा मानना है आसन्न त्याेहाराें व लाेकसभा चुनाव के मद्देनजर तथाकथित धर्म की आड़ में तलवाराें के शाे-अप के पीछे मुख्य उद्देश्य सांप्रदायिक तनाव पैदा करना है? अवैध हथियाराें के व्यापाराें का सीधा संबंध अपराध व हिंसा से हाेता है, यह ताे स्वयंसिध्द है. इसलिए तलवाराें के शाे-अप काे अपराध व सांप्रदायिक हिंसा से अलग करके देखना  खतरनाक साेंच है. नीतीश सरकार में एक खास समुदाय के अपराधियाें  काे कितना संरक्षण प्राप्त है, यह हम देख चुके हैं.
  संगठन ने जारी अपने बयान में कहा है कि  इस साल रामनवमी के अवसर पर नीतीश सरकार ने अखबाराें में प्रकाशित किया था किसी भी व्यक्ति काे रामनवमी के जुलूस में हथियार लेकर चलने की इजाजत नहीं हाेगी. नीतीश सरकार के इस निर्देश का उनकी नाक के नीचे और पूरे बिहार में खुलेआम कैसी धज्जियां उड़ायी गयीं उसे बिहार के लाेग ही नहीं पूरा देश टीवी चैनेलाें पर देखा. पटना के विभिन्न मुहल्लाें से और बिहार के विभिन्न जिलाें से जाे रामनवमी जुलूस निकला उसमें हजाराें- लाखाें की संख्या में तलवारें थी. पटना में ताे ऐसी जुलुसाें काे झंडा हिलाकर प्रस्थान कराने वालाें में नीतीश सरकार के मंत्रीगण भी थे.
क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने मंत्रियों पर काेई कार्रवाई की. करते भी कैसे वे ताे स्वयं भाजपा नेताओं के साथ डाकबंगला चाैराहा पर तलवाराें से लैस रामनवमी जुलूस में माैजूद रामजी-सीताजी की मानव-प्रतिमा काे आरती उतार रहे थे. यही कारण है कि गत रामनवमी के अवसर पर पूरे बिहार का प्रशासन  पंगु बना रहा. जुलूस में अवैध तलवारें किसने बांटीं, कहां से आयी, जाे लाेग तलवारें चमका रहे थे, वे कौन लाेग थे?  प्रशासन अपने सूत्राें व सीसीटीवी कैमरे की मदद से उनपर कार्रवाई कर सकती थी, फिर क्याें  नहीं की?
कुछ लाेग तर्क देते हैं कि मुहर्रम के जुलूस में भी तलवाराें का प्रदर्शन किया जाता है. यह तर्क ही बेमानी है. मुहर्रम के जुलूस में एक्का-दुक्का तलवारें कर्बला(इराक) के युद्ध के प्रतीक के रूप में हाेती हैं जिस युद्ध में इमाम हुसैन और उनके पूरे परिवार की शहादत हुई थी. सिक्खाें की धार्मिक परंपरा में भी तलवार है. ये तलवारें कर्मकांड के रूप में आज भी प्रचलित हैं, इनका हिंसा व आक्रमण से काेई संबंध नहीं है.
हिन्दुधर्म की परंपरा में किसी भी अवसर पर हथियार पूरी तरह वर्जित हैै. इसलिए जाे लाेग रामनवमी व अन्य त्याेहाराें पर तलवार चमकाने काे सही ठहराते हैं वे न केवल हिन्दुधर्म काे कलंकित व नाश कर रहे हैं बल्कि उनका असली उद्देश्य समाज में घृणा व हिंसा फैलाना है. उनका धर्म से  काेई लेना-देना नहीं है, वे केवल वाेट की घटिया  राजनीति करना चाहते हैं. उल्लेखनीय है कि गत रामनवमी के अवसर पर पूरे बिहार में लगभग चार सौ जगहाें पर सांप्रदायिक तनाव व हिंसा हुई थी.
इसलिए हम बिहार के आम नागरिकों से अपील करते हैं कि वे नेवाले त्याेहाराें- मुहर्रम और दुर्गा पूजा के अवसर पर सावधान रहें. हम बिहार सरकार से मांग करते हैं कि वह तलवाराें व अन्य हथियाराें के प्रदर्शन पर सख्ती से राेक लगाये तथा संबंधित अपराधियाें के खिलाफ  समय रहते कड़ी कार्रवाई करे.

By Editor