मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिये जाने की मांग खारिज करने को लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की आलोचना पर आज कहा कि श्री यादव के कुकर्म तार्किक परिणति तक पहुंच चुके हैं।  इसलिए जरूरी है कि वह अपने काम पर ध्यान दें।

 

श्री कुमार ने ‘लोकसंवाद’ कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि श्री यादव को कोई जरूरत नहीं है कि वह दूसरों पर टिप्पणी करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिये जाने की प्रदेश की जनता और शिक्षण संस्थान के विद्यार्थियों की मांग का प्रश्न अभी तक हल नहीं हो सका है। संसद में भी वह पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिये जाने की मांग उठा चुके हैं। जब प्रधानमंत्री श्री मोदी 14 अक्टूबर को विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने आये तो मैने उनके समक्ष यह मांग रखी थी।  श्री कुमार ने कहा कि वह जनभावना के अनुरूप पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिये जाने की मांग रखी थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार की एक अन्य योजना का जिक्र किया, जिसमें देश के 10 सरकारी और 10 निजी विश्वविद्यालय को ‘सेंटर ऑफ एक्सिलेंस’ के रूप में विकसित किया जाना है। उन्होंने कहा कि केंद्र के पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं दिये जाने के संबंध में उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं देनी है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार की भूमिका सीमित होती है और इस क्षेत्र में सुधार के लिए राज्य की भूमिका निर्धारित करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है। उन्होंने कहा कि बिहार के महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। रिक्त पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति कर इस समस्या का शीघ्र समाधान कर लिया जाएगा। इसके लिए लोक सेवा आयोग को जिम्मेवारी सौंपी गई है। उन्होंने कहा कि मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी शिक्षकों की कमी है। इसके समाधान के लिए विचार करने की जरूरत है। यह समस्या सिर्फ बिहार की नहीं बल्कि पूरे देश की है।

By Editor