जेनेवा से पेश हुआ लाइव रिपोर्ट, भारत के 20 राज्यों की रही निगाह
पटना.

यूपीआर रिपोर्ट: भारत में मानवाधिकार के क्षेत्र के काम संतोषजनक नहीं

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद की ओर से गुरुवार को भारत की यूनिवर्सल प्रीयोडिक रिव्यू (यूपीआर) रिपोर्ट जेनेवा से पेश की गया. इसमें मानवाधिकार परिषद ने भारत सरकार द्वारा मानवाधिकार के क्षेत्र में कार्यों से नाखुश दिखे. रिपोर्ट में यह बात सामने आयी कि महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा की जो स्थितियां है. उससे निबटने के लिए प्रत्येक राज्य में प्रोटेक्शन ऑफिसर की नियुक्ति की गयी है, जो गलत तरीके से की गयी है. वहीं, कई देशों के महिलाओं की हिंसा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया गया. इसके अलावा मृत्यु दंड पर बहुत लोगों ने अावाज उठायी है. इसके अलावा पांच छह देशों ने ट्रांसजेंडर और समलैंगिकता पर आवाज उठाये हैं. बावजूद स्थिति संतोषजनक नहीं है. आदि बातें रिपोर्ट में पेश की गयी.
इस रिपोर्ट पर भारत के 20 से अधिक राज्यों की निगाह रही है. जिसका लोगों ने लाइव टेलिकास्ट भी देखा. बिहार में काम करने वाले 100 से अधिक गैरसरकारी संस्थाएं भी पाटलिपुत्र स्थित ऑक्सफेम कार्यालय में लाइव रिपोर्ट पेश होने पर एक साथ उपस्थित हुए. कार्यक्रम का आयोजन दोस्ताना सफर, साझा मंच और संयुक्त राष्ट्र के वर्किंग ग्रुप के सहयोग से किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत दोस्ताना सफर की रेशमा प्रसाद ने किया.
आप भी जानिये क्या है यूपीआर?
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद की ओर से प्रत्येक चार वर्षों में यूनिवर्सल प्रीयोडिक रिव्यू (यूपीआर) रिपोर्ट पेश की जाती है. जो विभिन्न देशों द्वारा मानवाधिकार के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यक्रमों की समीक्षा रिपोर्ट पेश करता है. इस रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया जाता है कि राज्य में मानवाधिकार के क्षेत्र में किये गये कार्य की क्या स्थिति है. कहां क्या कमी है. कैसे इसे अधिक प्रभावशाली बनाया जाये. ताकि अधिक से अधिक इसपर काम किया जा सकें. इससे काम करने वाले संस्थाआें और सरकार पर भी एक दबाव बनता है. इसकी शुरुअात वर्ष 2008 में हुई थी. यह तीसरा यूपीआर रिपोर्ट पेश हो रहा है. इसके बाद विभिन्न राज्यों में काम कर रहे संगठन इन सिफारिशों पर अपनी प्रतिक्रया भी जाहिर कर सकेंगे. यह रिपोर्ट अगले पांच वर्षों के लिए भारत में मानवाधिकार की दिशा तय करेगी. यह संगठन पूरे देश भर के 193 देशों के मानवाधिकारों के कार्यों की समीक्षा करती है. जिस देश की समीक्षा होती है वह रिपोर्ट की सिफारिशों को मानने पर उन्हें अगली समीक्षा के पहले उन्हें लागू करना होता है. उन्होंने ये भी बताया कि भारत से इन मुद्दाें पर सिफारिशें भेजी गयी थी. इनमें आर्थिक , सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार, स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास का का अधिकार आदि विषयों पर सिफारिशें भेजी गयी थी.

By Editor