पटना साहिब से भाजपा उम्मीदवार बनने के बाद रविशंकर प्रसाद भाजपा मुख्‍यालय में कई प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुके हैं। आज (मंगलवार) हम पहली बार उनकी पीसी में गये थे। बिहार में एनडीए के 40 उम्मीदवार में सबसे ‘बेचारे’ उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद हैं। भाजपा नेतृत्व में उनकी ‘भरी जवानी’ लूट ली। राज्य सभा में उनका कार्यकाल 5 वर्ष से ज्यादा बचा हुआ है। इसके बावजूद पटना साहिब के समर में एक लाला के खिलाफ दूसरे लाला को उतार दिया गया। आज के प्रेस वार्ता में रविशंकर प्रसाद की बायीं ओर बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव बैठे थे और दायीं ओर प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय। पटना साहिब में लाला रविशंकर प्रसाद की जीत की बड़ी जिम्मेवारी ग्वाला भूपेंद्र यादव व नित्यानंद राय के कंधों पर भी है।

वीरेंद्र यादव


हमारी पुस्तक ‘राजनीति की जाति’ में संकलित आंकड़ों के अनुसार पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में लाला वोटरों से तीन गुना भारी ग्वाला वोटर हैं। पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में यादव वोटरों की संख्या 17 प्रतिशत है, जबकि कायस्थ वोटरों की संख्या मात्र 6.67 प्रतिशत है। पटना साहिब में ब्राह्मण वोटरों की संख्या 3.42 प्रतिशत, राजपूत 8.02 प्रतिशत, भू‍मिहार 5.54 प्रतिशत,मुसलमान 6.70 प्रतिशत, कोईरी 4.19 प्रतिशत, कुर्मी 7.96 प्रतिशत, बनिया 9.41 प्रतिशत, रविदास 6.91 प्रतिशत और पासवान वोटरों की संख्या 6.51 प्रतिशत है। पटना साहिब लोकसभा में कांग्रेस के उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा हैं, जबकि भाजपा के उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद हैं। वैसे पटना साहिब में फिल्मी दुनिया के सितारे कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में हारते रहे हैं।
हम भाजपा की पीसी की बात कर रहे थे। रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस और भाजपा के घोषणा पत्र की तुलना करते हुए कांग्रेस घोषणा पत्र की खामियां गिनायी। भूपेंद्र यादव ने भाजपा के घोषणा पत्र पर फोकस किया और संकल्प पत्र के वादों को पूरा करने का संकल्प दुहराया। हालांकि रविशंकर प्रसाद ने खुद स्वीकार किया कि पत्रकारों को संकल्प पत्र के संकल्पों में मंदिर के अलावा किसी विषय में रुचि नहीं है। पीसी के बाद रविशंकर प्रसाद, भूपेंद्र यादव व नित्यानंद राय अतिथि कक्ष में पहुंचे। हम भी अतिथि कक्ष में जाकर ‘वीरेंद्र यादव न्यूज’ की कॉपी नेताओं को दी और बाहर निकल आये।
हम फिर सभागार की ओर पहुंचे। यहां भाजपा के एक पूर्व एमएलसी से मुलाकात हो गयी। उन्होंने कहा कि आपको‍ डिहरी में होना चाहिए तो पटना में नजर आ रहे हैं। हमने कहा कि डिहरी में अंतिम फेज में चुनाव है। नामांकन के बाद ही जनता उम्मीदवार को पहचानती है। इसलिए अभी पटना में हैं। इस बीच एक अन्य साथी से पटना साहिब को लेकर बहस शुरू हो गयी। हमने कहा कि पटना साहिब भाजपा के लिए सबसे प्रतिष्ठापूर्ण सीट है। भाजपा 17 में 16 सीट हार जाए और पटना साहिब जीत ले तो भी उससे हार का मलाल नहीं होगा। लेकिन 16 सीट जीत जाए और पटना साहिब हार जाये तो वह लंबे समय तक हार के सदमे से उबर नहीं पायेगी।
पटना साहिब सीट जीतने की जवाबदेही बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव और प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय की भी है। अब सवाल यह है कि क्या दो ग्वाला मिलकर पटना में भाजपा के एक लाला को जीतवा पायेंगे। इंतजार कीजिये चुनाव परिणाम का।

By Editor