पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा है कि नीतीश कुमार भाजपा की संभावनाओं को लेकर  चाहे जो कहें लेकिन उन्होंने खुद ही बिहार में भाजपा का रास्ता आसान बना दिया है और स्वयं  अपनी विदाई का गीत लिख दिया है । जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाना उनके राजनीतिक जीवन की सबसे गंभीर भूल साबित होने वाली है। संपूर्ण दलित समाज ने इसको अपमान के रूप में लिया है और इसका परिणाम अगले विधानसभा चुनाव में पता चल जायेगा।shivana

 

 

श्री तिवारी ने जारी बयान में कहा है कि जातीय सम्मान लोग भूल सकते हैं, लेकिन अपमान को लोग कभी नहीं भूलते हैं। सामाजिक न्याय की राजनीति का पूरा आधार ही जातीय अपमान के विरुद्ध शूद्रों की बगावत पर ही टिका हुआ था। उस बगावत ने समाज में शूद्रों की स्थिति को बदल दिया है। अब समाज में शायद ही कहीं कोई उनके साथ अपमानजनक व्यवहार का साहस करता है।उन्‍होंने कहा कि अब बारी दलितों की है। नीतीश ने जीतन राम मांझी को अपनी जगह मुख्यमंत्री बनाकर महादलित के लिए अपनी कुरबानी का नज़ीर पेश किया था। लेकिन नीतीश जीतनराम मांझी का थाह नहीं लगा पाये थे।

 

श्री तिवारी ने कहा कि श्री मांझी को अपनी लम्बी जिंदगी के तजुर्बे के इस्तेमाल का स्वतंत्र अवसर मिल गया। अपनी बोली से उन्होंने सम्पूर्ण दलित समाज को जगा दिया। श्री तिवारी ने कहा कि जीतन राम मांझी को हटाये जाने को दलित समाज पचा नहीं पा रहा है। दलित ही नहीं समाज का बड़ा हिस्सा इसको मांझी के अपमान के रूप में देख रहा है। दरअसल नीतीश कुमार पुनः मुख्यमंत्री बनने की अपनी आकांक्षा को दबा नहीं पाये। उनके इर्द-गिर्द जमा सत्ता से लाभ पाने वाले चाटुकारों की जमात ने उनकी आकांक्षा को और हवा दी। और अब इसका परिणाम विधानसभा के अगले चुनाव में सामने आ जाएगा।

By Editor

Comments are closed.