हाॅस्पिटल के हड्डी रोग एवं स्पाइन सर्जरी विशेषज्ञ डाॅ. पंकज कुमार एम.आई.एस.एस. विधि से ऑपरेशन कर कई मरीजों को दर्द से छुटकारा दिला चुके हैं . इस विधि से ऑपरेशन में एक-दो दिन बाद मरीज को अस्पताल से दे दी जाती है छुट्टी, दवा की जरूरत न के बराबर होती है और मरीज जल्द ठीक हो जाता है.

एशियन सिटी हाॅस्पिटल, पाटलिपुत्रा काॅलोनी, पटना के स्पाइन सर्जरी विषेशज्ञ डाॅ. पंकज कुमार ने कहा है कि कमर, गर्दन और पैर दर्द से परेषान मरीजों के लिए मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी (एम.आई.एस.एस.) वरदान साबित हो रही है। इस विधि से ऑपरेशन में एक-दो दिन के बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। इस विधि से सर्जरी में एक से दो इंच का लम्बा चीरा लगाया जाता है। दवा की खपत भी काफी कम होती है तथा मरीज जल्द ठीक हो जाता है।


उन्होंने कहा कि पुरानी विधि से इस रोग की सर्जरी में लम्बा चीरा लगाया जाता है जिसके चलते घाव सूखने में समय लगता है और मरीज को ज्यादा दिन अस्पताल में रहना पड़ता है। इस कारण आर्थिक बोझ भी मरीज को ज्यादा वहन करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में दुबई में बाथरूम में गिर जाने से हड्डी में दर्द से परेषान 30 साल के एक लड़के को इस विधि से कर दो दिन में अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। उसकी हड्डी डिस्क से आगे-पीछे हो गयी थी। इसे सीधा करने में छह स्क्रू लगाने पड़े। हड्डी आगे-पीछे हो जाने से नस पर दबाव पड़ रहा था।

उन्होंने कहा कि इसी तरह 32 साल की एक महिला की कमर से लेकर पैर तक दर्द रहता था। इसके चलते वह टेढ़ा होकर चलती थी। दो हड्डियों के बीच डिस्क मेटेरियल बाहर निकल कर नस पर दबाव डाल रहा था। इसके लिए एक इंच का चीरा लगाकर माइक्रोस्कोप में देखकर नस पर से दबाव हटाया गया। अब वह पहले की तरह चल रही है और उसके कमर और पैर में दर्द नहीं है।

डाॅ. पंकज ने कहा कि माइक्रोस्कोप का सहारा लेकर एम.आइ.एस.एस. विधि से ऑपरेशन किया जाता है। यह बात अलग है कि आॅपरेशन से पहले एम.आर.आई. जांच में सारी गड़बड़ी उजागर हो जाती है। उन्होंने कहा कि हमारे हाॅस्पिटल में इस विधि से ऑपरेशन के लिए सभी मषीनें, उपकरण तथा सुविधाएं उपलब्ध हैं जिसके चलते हम आसानी से इस प्रकार की सर्जरी कर पाते हैं। इस विधि से जटिल से जटिल हड्डी रोग की सर्जरी की जाती है।

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