सरकार ने स्‍पष्‍ट किया है कि इंटर महाविद्यालय के जिन संकायों को मान्यता दी गई है, उन्हीं में नामांकन की अनुमति प्रदान की गई है। विधान परिषद में संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने जदयू के दिलीप कुमार चौधरी के ध्यानाकर्षण सूचना के जवाब में कहा कि इंटर महाविद्यालय में जिन संकायों को मान्यता दी गई है, उन्हीं में नामांकन की अनुमति दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि जिन संस्थाओं को मान्यता नहीं दी गई है, उसमें नामांकन कैसे दी जा सकती है। श्री कुमार ने कहा कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से प्राप्त सूचना के अनुसार, किसी भी संकाय में बिना संबद्धता एवं स्वीकृत संख्या से अधिक नामांकन लिए जाने से कई तरह की वैधानिक तथा प्रशासनिक कठिनाई हो रही थी। इस संबंध में अनेकों वाद न्यायालयों में दायर हुए थे। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में वादों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया कि गैर मान्यता प्राप्त संकाय एवं स्वीकृत सीट से अधिक संकाय में किसी भी संस्थान में नामांकन नहीं लिया जाए।

उधर, सरकार ने स्पष्ट किया कि बाढ़ और सुखाड़ से मछलियों के नष्ट होने पर प्राकृतिक आपदा घोषित कर मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन सरकार ऐसे समय में मछली पालकों को उसी तरह क्षतिपूर्ति देती है, जिस तरह से किसानों को फसल नष्ट होने पर दिया जाता है।

विधानसभा में राजद के समीर कुमार महासेठ और आठ अन्य सदस्यों के ध्यानाकर्षण पर आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि बाढ़ और सुखाड़ से मछलियों के नष्ट हो जाने पर मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है, लेकिन ऐसे समय में मछली पालकों को राहत पहुंचाने के लिए कुछ प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसके तहत मछली फार्मों को गाद निकालने, पुनर्स्थापना और मरम्मत आदि में 12 हजार दो सौ रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जाती है।

श्री कुमार ने बताया कि मछुआरों को नाव और जाल आदि के क्षतिग्रस्त या खो जाने पर भी सहायता दी जाती है। आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त नाव के लिए 4100 रुपये,  आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त जाल के लिए 2100 रुपये तथा पूर्णतः क्षतिग्रस्त नाव के लिए 9600 रुपये और इसी तरह पूर्णतः क्षतिग्रस्त जाल के लिए 2600 रुपये दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि मछली जीरा फार्म के लिए इनपुट सब्सिडी के रूप में राशि 8200 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता देने का प्रावधान है।

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