सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर का एक बयान सवर्ण आरक्षण को चैलेंज करने वालों की उम्मीदें बढ़ा दी हैं वहीं यह आरक्षण समर्थकों में तनाव बढ़ाने वाला है.चेलमेश्वर ने बुधवार को कहा कि संविधान में सिर्फ समाज के सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण देने का प्रावधान है, न कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए. उन्होंने कहा कि इस मामले में कोर्ट क्या करेगा वह नहीं जानते.

इंडियन एक्सप्रेस  के अनुसार, रिटायर्ड जस्टिस जे. चेलमेश्वर आईआईटी बॉम्बे में आयोजित आंबेडकर मेमोरियल लेक्चर में एक छात्र के सवाल का जवाब दे रहे थे.

चेलमेश्वर ने कहा, ‘संविधान के अनुसार संसद या विधानसभा को समाज के सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने को कहा गया था. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण देने का प्रावधान नहीं है. ईडब्ल्यूएस आरक्षण अदालत में किस हद तक टिकेगा, मुझे नहीं पता और यह देखा जाना बाकी है. मैं केवल यह कह सकता हूं कि संविधान में इसकी इजाजत नहीं है.’

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गौरतलब है कि केंद्र सरकर ने  124वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित किया था, जिसमें सामान्य वर्ग में गरीबों यानी ईडब्ल्यूएस के लिए नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया.

बिल को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करने वाला है.

 

याद रहे कि जस्टिस चेलेमेश्वर पिछले वर्ष जून में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के पद से रिटायर हुए थे.

चेलमेश्वर ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि देश में क्या हो रहा है. उन्होंने कहा कि उन्हें सक्रिय रुचि लेनी चाहिए और जब चीजें गलत होती हैं, तो उन्हें अपनी आवाज उठानी चाहिए.

 

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