‘फ्री फंड का खाना’ खिला रहे कहना गरीब को गाली से कम नहीं

भाजपा सांसद का यह कहना कि मोदी सरकार देश के 80 करोड़ गरीबों को ‘फ्री फंड का खाना’ दे रही है, उन 80 करोड़ लोगों का भरे बाजार अपमान करना है।

कुमार अनिल

आज झारखंड के भाजपा सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के 80 करोड़ लोगों को फ्री फंड का खाना खिला रहे हैं। क्या उनका आभार नहीं जताना चाहिए?

बिहार-झारखंड में किसी असहाय व्यक्ति को जब कोई बदमिजाज आदमी फटकार लगाता है, तो यही कहता है- फ्री फंड का समझ लिये हो क्या? फ्री फंड का खाना किसी भी स्वाभिमानी व्यक्ति को गाली के समान लगता है। बिहार के गावों में आज से 20 साल पहले किसी संपन्न किसान के यहां कोई भोज होने पर दूसरे दिन सुबह गांव के गरीब खाना मांगने के लिए जाते थे। यह दाता और पाता का संबंध था। देनेवाला इस प्रकार देता था जैसे वह दे नहीं रहा हो, फेंक रहा हो, पर पिछले दो दशकों में परिदृश्य बदल गया है। अब कोई गरीब बिना आमंत्रण के किसी के यहां नहीं जाता। कम्युनिस्ट और समाजवादी नेता प्रायः इस दाता और पाता संबंध के खिलाफ लोगों में जोश भरते थे। उसका परिणाम निकला कि अब कोई गरीब पाता की तरह किसी के दरवाजे नहीं जाना चाहता। उनका स्वाभिमान जागा है। अब भाजपा सांसद ने फ्री फंड का खाना दे रहे हैं कह कर उसी दाता-पाता संबंध को फिर से जिंदा करने की कोशिश की है।

स्वाभाविक तौर पर भाजपा सांसद के इस बयान के खिलाफ देशभर में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास ने कहा-बहुत बेशर्म देखे भाजपा में, लेकिन इन्होंने तो बेशर्मी के सारे रिकॉर्ड तोड़कर बेशर्मी को ही शर्मसार कर दिया। राजद ने कहा-देश के ग़रीब भाजपा का दिया खाते हैं? फ़्री फंड का खाते हैं? इन भाजपाइयों के अहंकार की कोई सीमा नहीं! अपनी बदइंतजामी से गरीबों को हज़ारों km चलवा देते हैं, ऑक्सिजन-बेड की कमी से कोरोना में मरे लोगों के ढेर लगा जलवा देते हैं, नदी में लाश बहा देते हैं और “फ़्री” की बात करते हैं! ये है वीडियो-

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