आज से आज नई दिल्‍ली में तीन दिवसीय भारत-अफगान सांस्‍कृतिक महोत्‍सव का आगाज हो गया है. इस महोत्‍सव का उद्धाटन संस्‍कृति राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा और अफगानिस्‍तान इस्‍लामिक गणतंत्र के संस्‍कृति और सूचना मंत्री महामहिम प्रोफेसर मोहम्‍मद रसूल बावरी ने किया. इस दौरान डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि भारत-अफगानिस्‍तान के बीच सदियों पुराने सांस्‍कृतिक और सभ्‍यतागत संबंध है. 

नौकरशाही डेस्‍क

उन्‍होंने कहा कि संगीत, कला, वास्‍तुकला, भाषा एवं व्‍यंजन के क्षेत्र में गहरे संबंध दोनों देशों के लोगों के बीच की मित्रता के लिए महत्‍वपूर्ण है. जहां अफगानिस्‍तान के उस्‍ताद सरहंग जैसे प्रसिद्ध शास्‍त्रीय संगीतज्ञ पटियाला घराना में प्रशिक्षित हैं, वहीं बॉलीवुड का लोकप्रिय भारतीय संगीत अफगानिस्‍तान के घरों में सुनाई देता है. अफगानिस्‍तान का केन्‍द्रीय बमयान प्रांत हमारी साझा बौद्ध विरासत का केन्‍द्र है. गुरुदेव रवीन्‍द्रनाथ टैगोर के ‘काबुलीवाला’ के जरिए भारतीय, ईमानदार और बड़े दिलवाले अफगानियों के साथ जुड़े हैं.

दोनों देशों के साझा सामान्‍य मूल्‍यों को रेखांकित करते हुए भारतीय संस्‍कृति मंत्री ने कहा कि काबुल में ही चार गुरुद्वारे और दो मंदिरों का होना अफगानिस्‍तान के सहिष्‍णु और विवि‍धता भरे समाज का साक्ष्‍य है. अफगानिस्‍तान की सांस्‍कृतिक विरासत का पुनरुद्धार और इसके सांस्‍कृतिक संस्‍थानों को सुदृढ़ करना वहां के पुनर्निर्माण में हमारी सहायता का महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है. काबुल में स्‍टोरे पेलेस का पुनरुद्धार और अफगान राष्‍ट्रीय संगीत संस्‍थान की सहायता करना ऐसे कुछ उदाहरण हैं. बता दें कि इस महोत्‍सव का आयोजन अफगानिस्‍तान सरकार और दूतावास तथा भारत सरकार और अंतर्राष्‍ट्रीय सांस्‍कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) ने संयुक्‍त रूप से किया है, जिसमें अफगानिस्‍तान और भारत के सांस्‍कृतिक कार्यक्रम, हस्‍तशिल्‍प, प्रदर्शनियां, व्‍यंजन तथा सांस्‍कृतिक शो का प्रदर्शन किया जाएगा.

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