जमात इस्लामी ( Jamat E Islami) की चार वर्षीय कार्ययोजना घोषित,साम्प्रदायिक सौहार्द व पर्यावरण जैसे मुद्दों पर रहेगा जोर

जमात इस्लामी ( Jamat E Islami) बिहार ने रिजवान इस्लाही को नया अमीर हल्का नियुक्त करने के बाद अगले चार वर्षों की कार्ययोजना की घोषणा की. इसमें सामाजिक सौहार्द से ले कर पर्यावरण तक के मुद्दों को शामिल किया गया है.

पटना स्थित मुख्यालय में रविवार को आयोजित समारोह में जमात इस्लामी के जिम्मेदारों के अलावा बुद्धिजीवियों और सामाजिक व मजहबी क्षेत्र से जुड़े लोगों ने हिस्सा लिया.

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इस अवसर पर नवनियुक्त अमीर ए हल्का रिजवान इस्लाही ने कहा कि अगले चार वर्षों यानी 2019-2023 की इस योजना पर जहां हम दावत ए दीन के अपने काम को अंजाम देते रहेंगे वहीं हमने पर्यावरण को बचाने के लिए 50 हजार पेड़ लगाने व प्लास्टिक के इस्तेमाल को न्यूनतम स्तर तक पहुंचाने का अभियान चलायेंगे. साथ ही जल संरक्षण जैसे मुद्दों पर भी जागरूकता चलायी जायेगी.  उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिक भाईचारे के दिशा में हम अपनी कोशिशों को और तेज करेंगे.

 

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Jamat E Islami के नये अमीर

इस अवसर पर चार वर्षों की कार्ययोजना का उल्लेख करते हुए रिजवान इस्लाही ने कहा कि हमने इसे समय की जरूरतों के अनुरूप विकसित करने की कोशिश की है. सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए बिहार में चार काउंसिलिंग सेंटर बनाया जाना है. इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए व्यापार के अवसरों और संभावनाओं के प्रति बेरोजगारों को प्रशिक्षित भी किया जायेगा.

शिक्षा व रोजगार पर जोर

इस कार्ययोजना में खास कर बच्चों में सामाजिक व मजहबी बेदारी के लिए अलग से कमेटी कायम की जायेगी. कार्ययोजना में इस बात का विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है कि  शिक्षित युवाओं को सिविल सर्विसेज, मीडिया और विधि जैसे क्षेत्रों में हर साल 25 युवाओं को प्रशिक्षित और मार्गदर्शन दिया जायेगा.

इस कार्ययोजना में इस बात पर जोर दिया गया है कि प्राकृतिक आपदा, साम्प्रदायिक हिंसा की स्थिति में तमाम धर्मों के लोगों को एक समान सहायता देने की कोशिशें मजबूती के साथ जारी रखी जायेंगी. इसके लिए बाजाब्ता एसबीएफ यानी सोसाइटी फॉर ब्राइट फ्युचर के स्वंयसेवकों को प्रशिक्षित भी किया जायेगा.

जमात इस्लामी( Jamat E Islmi) बिहार ने यह भी तय किया है कि अगले चार साल में इसके वर्करों की कुल संख्या में एक हजार की वृद्धि की जायेगी.

इस कार्यक्रम में मदरसा शमसुल होदा के प्रिसिंपल मसूद कादरी, जमात के मोहम्मद अनवर, कमर वारसी कमरुल होदा वरिष्ठ पत्रकार अनवारुल होदा समेत अनेक लोगों ने इस कार्ययोजना के संबंध में अपनी राय दी.

इस्लाम ने हमेशा भाईचारा, सहनशीलता और अमन का पैगाम दिया

 

By Editor