बिहार महादलित विकाम निगम में हुए करोड़ो रुपये के घोटाला मामले में आरोपित भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी सह निगम के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के. पी. रमैया ने आज पटना की एक विशेष अदालत में आत्मसमपर्ण किया, जहां बाद में उन्हें जमानत पर मुक्त कर दिया गया।

सतर्कता के विशेष प्रभारी न्यायाधीश विपुल सिन्हा की अदालत में आत्मसपर्मण करने के साथ ही एक नियमित याचिका दाखिल कर श्री रमैया को जमानत पर मुक्त किये जाने की प्रार्थना की गयी थी। जमानत अर्जी पर बहस पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता वाई. वी. गिरि ने की। बहस के दौरान उन्होंने कहा कि निगम में मात्र 38 दिनों का कार्यकाल उनके मुवक्किल का रहा है तथा प्रश्नगत आदेश पूर्व से जारी थे तथा वह पटना उच्च न्यायालय के आदेश से आत्मसमर्पण कर रहे हैं।

निगरानी के विशेष लोक अभियोजक विजय कुमार सिन्हा ने जमानत का विरोध किया। आवेदन पर सुनवाई के बाद विशेष अदालत ने श्री रमैया को बीस हजार रुपये के निजी मुचलके के साथ उसी राशि के दो जमानत दारों का बंध पत्र (बॉन्ड पेपर) दाखिल करने पर जमानत पर मुक्त किये जाने का आदेश दिया।

 

निगरानी के विशेष लोक अभियोजक विजय कुमार सिन्हा ने जमानत का विरोध किया। आवेदन पर सुनवाई के बाद विशेष अदालत ने श्री रमैया को बीस हजार रुपये के निजी मुचलके के साथ उसी राशि के दो जमानत दारों का बंध पत्र (बॉन्ड पेपर) दाखिल करने पर जमानत पर मुक्त किये जाने का आदेश दिया।

मामले में पिछले दिनों श्री रमैया समेत छह लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था। आरोप-पत्र के अनुसार, बिहार महादलित विकास निगम द्वारा इंडस इंगेरेटेड इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट लिमिटेड के माध्यम से विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे विकास मित्र, सामुदायिक भवन एवं वर्कशेड निर्माण, दशरथ मांझी कौशल विकास योजना, पोशाक योजना में बिना प्रशिक्षण एवं प्रमाण पत्र जारी किये तथा अतिरिक्त पुस्तकें वितरित कर दो करोड़ रुपये से अधिक की सरकारी राशि का घोटाला किया गया है।

By Editor