लोकसभा चुनाव के लिए सातवें और आखिरी चरण के मतदान से पूर्व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जनता की पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया और कहा कि जिस पार्टी का चुनाव चिह्न (तीर) ही हिंसा का हथियार हो, उसके मुखिया से क्या उम्मीद की जा सकती है।

चारा घोटाले में जेल में बंद श्री यादव के आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट लिखा गया है जिसमें मुख्यमंत्री द्वारा बार-बार अपनी चुनावी सभाओं में लालटेन (राजद का चुनाव चिह्न) के दिन जाने संबंधी उनके बयान पर पलटवार करते हुए लिखा गया कि तीर (जदयू) का जमाना लद गया है। श्री यादव ने मुख्यमंत्री को छोटे भाई के तौर संबोधित करते हुए लिखा, “ लालटेन प्रकाश और रोशनी का पर्याय है। मोहब्बत और भाईचारे का प्रतीक है। हमने लालटेन के प्रकाश से ग़ैर बराबरी, नफ़रत, अत्याचार और अन्याय का अंधेरा दूर भगाया है और भगाते रहेंगे। तुम्हारा चिह्न तीर तो हिंसा फैलाने वाला हथियार है। मारकाट एवं हिंसा का पर्याय और प्रतीक है।”

राजद सुप्रीमो ने आगे लिखा, “जनता को लालटेन की ज़रूरत हर परिस्थिति में होती है। प्रकाश तो दिए का भी होता है. लालटेन का भी होता है और बल्ब का भी होता है। बल्ब की रोशनी से तुम बेरोज़गारी, उत्पीड़न, घृणा, अत्याचार, अन्याय और असमानता का अंधेरा नहीं हटा सकते इसके लिए प्रेम से दिल और दिमाग़ का दिया जलाना होता है। समानता, शांति, प्रेम और न्याय दिलाने के लिए ख़ुद को दिया और बाती बनना पड़ता है। समझौतों को दरकिनार कर जातिवादी, मनुवादी और नफ़रती आंधियों से उलझते एवं जूझते हुए ख़ुद को निरंतर जलाए रहना पड़ता है। तुम क्या जानों इन सब वैचारिक और सैद्धांतिक उसूलों को । शॉर्टकट ढूंढना और अवसर देख समझौते करना तुम्हारी बहुत पुरानी आदत रही है।

श्री यादव ने जदयू के चुनाव चिह्न तीर पर तंज कसते हुए आगे लिखा ,“ तुम कहां मिसाइल के ज़माने में तीर-तीर किए जा रहे हो। तीर का ज़माना अब लद गया। तीर अब संग्रहालय में ही दिखेगा। लालटेन तो हर जगह जलता मिलेगा और पहले से अधिक जलता हुआ मिलेगा क्योंकि 11 करोड़ ग़रीब जनता की पीठ में तुमने विश्वासघाती तीर ही ऐसे घोंपे है। बाक़ी तुम अब कीचड़ वाले फूल में तीर घोंपो या छुपाओ. तुम्हारी मर्ज़ी।”

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