‘नगालैंड में UCC लागू हुआ, तो सभी 60 MLA के घर में लगा देंगे आग’

‘नगालैंड में UCC लागू हुआ, तो सभी 60 MLA के घर में लगा देंगे आग’। नागालैंड ट्रांसपेरेंसी, पब्लिक राइट्स एडवोकेसी एंड डायरेक्ट-एक्शन ऑर्गनाइजेशन ने दी धमकी।

समान नागरिक संहिता पर देश के उत्तर पूर्वी राज्यों में तीखा विरोध हो रहा है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेताओं ने भी UCC के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। नगालैंड के एक संगठन नागालैंड ट्रांसपेरेंसी, पब्लिक राइट्स एडवोकेसी एंड डायरेक्ट-एक्शन ऑर्गनाइजेशन ने तो यहां तक धमकी दी है कि अगर केंद्र के दबाव में नगालैंड विधानसभा से समान नागरिक संहिता बिल को पास करने की कोशिश की गई, तो सभी 60 विधायकों के घरों को घेर लिया जाएगा। सभी के घरों में आग लगा दी जाएगी। इसके साथ ही नागालैंड की राइजिंग पीपुल्स पार्टी ने भी ‘समान नागरिक संहिता’ का विरोध किया है। पार्टी ने कहा कि ‘समान नागरिक संहिता’ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के “एक राष्ट्र, एक धर्म, एक भाषा” को पूरे देश पर थोपने की किसी भी कोशिश का वे विरोध करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से देश में समान नागरिक संहिता लागू करने पर जोर दिया है है, तब से उत्तर पूर्वी राज्यों में इसका तीखा विरोध हो रहा है। इन राज्यों के विभिन्न दलों तथा संगठनों का कहना है कि संविधान की छठी अनुसूची में इन राज्यों को विशेष अधिकार दिए गए हैं। यहां की संस्कृति, परंपरा से छेड़छाड़ की गई तो बरदाश्त नहीं करेंगे।

उत्तर पूर्वी राज्यों के अलावा अन्य प्रदेशों के आदिवासी संगठन भी समान नागरिक संहिता के विरोध में खड़े हो गए हैं। छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने एलान कर दिया है कि आदिवासी समाज समान नागरिक संहिता को कभी स्वीकार नहीं करेगा। हमारे समाज की परंपराएं और प्रथाएं अन्य समाजों से अलग हैं। हमारे विवाह परंपरा, संपत्ति, विरासत आदि की परंपरा और सदियों से जारी प्रथाओं पर कुछ भी थोपने की कोशिश की गई, तो हम पुरजोर विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे आदिवासी समाज में बेटी का संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होता। हमारे यहांं शादी के बाद बेटी को ससुराल की संपत्ति में हिस्सा मिलता है। हमारे यहां किसी प्रकार का दहेज भी नहीं है।

देशभर में समान नागरिक संहिता का जिस प्रकार विरोध हो रहा है, उससे भाजपा फंस गई है। अब उसने पांव पीछे खींचने शुरू कर दिए हैं। दिल्ली में हाल में संसदीय समिति की बैठक में भाजपा सांसद सुशील मोदी ने समान नागरिक संहिता से आदिवासी समाज को अलग करने का प्रस्ताव दिया। यहां सवाल उठ जाता है कि अगर आदिवासी समाज और देश के दसियों प्रदेशों को UCC से अलग कर दिया जाता है, तो फिर समान नागरिक संहिता रही कहां?

भाजपा को उम्मीद थी कि समान नागरिक संहिता के खिलाफ मुस्लिम संगठन सड़क पर उतर जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। उधर देश के कई राज्यों में हंगामा हो गया है और आदिवासी संगठनों ने तीखा विरोध किया है। समान नागरिक संहिता पर भाजपा फंसती हुई नजर आ रही है।

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