पटना उच्च न्यायालय ने सभी सिविल सर्जन से दो सप्ताह के अंदर राज्य में अवैध रूप से चल रहे पैथोलॉजी लैब एवं नमूना संग्रह केंद्र के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट (एटीआर) पेश करने का आदेश दिया है।


मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही एवं न्यायमूर्ति अंजना मिश्रा की खंडपीठ ने इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिस्ट एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट की ओर से दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई करते हुये सभी सिविल सर्जन से अगली सुनवाई में राज्य में अवैध रूप से चल रहे पैथोलॉजी लैब एवं नमूना संग्रह केंद्र के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट (एटीआर) पेश करने का आदेश दिया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 अगस्त 2019 की तिथि निर्धारित की है।
मामले की इससे पूर्व हुई सुनवाई में स्वास्थ विभाग की ओर से दायर हलफनामे में बताया गया है कि राज्य में कुल 3153 पैथोलोजिकल एवं डायग्नोस्टिक केंद्र हैं, जिनमे 2514 केंद्र अवैध पाये गए हैं।
याचिकाकर्ता के वकील शमिमुल हौदा ने आज हुई सुनवाई में आरोप लगाया कि सरकार की कार्रवाई के बावजूद अवैध तरीके से कई पैथोलोजिकल लैब एवं कलेक्शन सेंटर चल रहे हैं। मामले में हस्तक्षेप करते हुए हाजीपुर के थायरोकेयर कलेक्शन सेंटर ने खंडपीठ में गुहार लगाई कि पैथोलोजिकल लैब के बहाने सरकार कलेक्शन सेंटर पर कार्रवाई न करे।
इस पर सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने विभिन्न कानून एवं नियमावली का हवाला देते हुए खंडपीठ को बताया कि नैदानिक प्रतिष्ठान अधिनियम में परिभाषित क्लिनिकल इस्टेबलिशमेंट के दायरे में पैथोलोजी लैब के कलेक्शन सेंटर भी आते है। निरीक्षण के दौरान हाजीपुर का थायरोकेयर कलेक्शन अपने बायोमेडिकल अपशिष्ट एवं मेडिकल कचरा के सिलसिले में राज्य प्रदूषण बोर्ड से निर्गत अपने पक्ष में कोई प्रमाण पत्र नहीं दे सका, जो कानूनन अनिवार्य है इसलिए उनपर कार्रवाई की गई।

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