अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में पाकिस्‍तान के संस्‍थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगाये जाने के बाद गहराये विवाद पर शिक्षा मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. कर्नाटक चुनाव में भाजपा का घोषणा पत्र जारी करने के मौके पर मौजूद जावडेकर से जब इस बार में पूछा गया, तो उन्‍होंने चुप्‍पी साध ली. वहीं, इस मामले में  एएमयू के कुलपति तारिक मंसूर ने कहा कि तस्‍वीर हटाना हमारी जिम्‍मेवारी नहीं है. 

नौकरशाही डेस्‍क

उन्‍होंने कहा कि जिन्ना की तस्वीर का मामला काफी पुराना है. यह 1938 से लगी हुई है. ये कोई नई चीज नहीं है और इतने साल हो गये, किसी ने इस पर ऑब्जेक्ट नहीं किया. मगर अब एक नई चीज क्यों स्टार्ट हो रही है. यह तो एक अर्काइव है, बहुत से पोर्ट्रेट लगी हुई हैं, वो भी वहां लगी हुई है. यह कोई बहुत बड़ा इश्यू नहीं है.

मालूम हो कि इस मामले में हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन और पुलिस के लाठी चार्ज में कुछ छात्रों के घायल होने की घटना को लेकर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने एएमयू के कुलपति और जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है. हीं जिन्ना विवाद पर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पूरा देश उन्हें विलेन के रूप में देखता है, इसलिए उनकी तसवरी विश्वविद्यालय से हटा दी जानी चाहिए.

वहीं, मोहम्मद अली जिन्ना को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने देश का दुश्मन बताया है. केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिन्ना देश के दुश्मन थे. देश के दुश्मन के लिए यहां किसी के दिल में कोई जगह नहीं है. जिन्ना के लिए न कभी जगह थी, न है और न कभी होगी. तो नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने एक नए विवाद को जन्म देते हुए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद और सरदार पटेल पर भारत के ‘विभाजन’ का आरोप लगाया और कहा कि हमारे पास उस आयोग के रिकॉर्ड हैं जिसमें यह निर्णय लिया गया था कि हम भारत का विभाजन नहीं करेंगे और मुस्लिमों और सिख जैसे अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लिए विशेष प्रतिनिधित्व की व्यवस्था होगी. जिन्ना इस पर सहमत हो गए थे लेकिन नेहरू, आजाद और पटेल ने यह बात नहीं स्वीकारी. इसके बाद ही जिन्ना के द्वारा पाकिस्तान की स्थापना की गई.

 

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