राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के साथ ही जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधान निष्प्रभावी हो गये।  श्री कोविंद ने मंगलवार को ही देर शाम संबंधित अधिसूचना पर हस्ताक्षर कर दिये। इसके साथ ही यह कानून प्रभावी हो गया और जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया।

राजपत्र में जारी अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (एक) के साथ पठित अनुच्छेद खंड (तीन) के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए संसद की सिफारिश पर छह अगस्त 2019 से उक्त अनुच्छेद के एक खंड को छोड़कर को छोड़कर सभी को निष्प्रभावी करार दिया है।

गौरतलब है कि गत सोमवार को राज्यसभा में पारित होने के बाद संबंधित विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया था, जहां लंबी चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया गया। इसके बाद केंद्र सरकार ने अनुमोदन के लिए उसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया था। श्री कोविंद ने अधिसूचना पर देर शाम हस्ताक्षर कर दिया।

उधर, जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निष्प्रभावी बनाने के केंद्र सरकार के कदम को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी है। वकील मनोहर लाल शर्मा ने सरकार की ओर से अपनायी गयी प्रकिया पर सवाल खड़े करते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है। श्री शर्मा ने अपनी याचिका में अनुच्छेद 370 को हटाने के राष्ट्रपति के आदेश की अधिसूचना को संविधान की मूल भावना के विरुद्ध करार दिया है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि अनुच्छेद 370 हटाने के लिए सरकार द्वारा किया गया संशोधन असंवैधानिक है। सरकार ने मनमाने और असंवैधानिक ढंग से काम किया है। याचिका में मांग की गयी है कि अदालत इस अधिसूचना को असंवैधानिक घोषित कर इसे रद्द करे।

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