बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में छेड़खानी के बाद छात्राओं के प्रोटेस्‍ट के दौरान शनिवार की रात को हुए लाठीचार्ज के मामले में वाराणसी के कमिश्नर नितिन गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इस रिपोर्ट में उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन को लापरवाही का दोषी ठहराया है. कमिश्नर ने जांच के दौरान वाइस चांसलर और पीड़ित लड़की समेत 12 लोगों के बयान लिए. 

नौकरशाही डेस्‍क

रिपोर्ट में कहा गया है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मामले को गलत तरीके से हैंडल किया और वक्त रहते इसका हल नहीं निकाला. अगर वक्त रहते इस मामले को सुलझा लिया गया होता तो इतना बड़ा विवाद खड़ा नहीं होता. रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे मामले में सबसे बड़ा दोष प्रशासन का ही है, वह चाहते तो यह मामला आराम से निपट सकता था.

वहीं, वाइस चांसलर (वीसी) ने लाठीचार्ज की बात को झूठा करार दिया है. इस संबंध में उन्होंने एक लेटर जारी किया है. किसी भी स्टूडेंट पर लाठीचार्ज नहीं किया गया. कार्रवाई उन पर की गई जो कैम्पस में यूनिवर्सटिी की प्रॉपर्टी को आग लगा रहे थे. साथ ही वीवी ने एक निजी चैनल पर छात्राओं से छेड़छाड़ के मामले में बेतुकी दलील दी और कहा कि छेड़खानी सिर्फ हमारी यूनिवर्सिटी में ही नहीं, देश भर में होती है. पीएम के दौरे से एक दिन पहले जान-बूझकर ये घटना करवाई गई. बता दें कि लाठीचार्ज मामले में पांच अफसरों पर गाज गिरी है. यूपी सरकार ने तीन सिटी सिटी मजिस्ट्रेटों को हटा दिया है. एक थाना प्रभारी को लाइन अटैच किया गया और सर्कल ऑफिसर (सीओ) का तबादला कर दिया है.

उल्‍लेखनीय है कि बीते गुरुवार 21 सितंबर की रात बीएचयू कैंपस में भारत कला भवन के पास ऑर्ट्स फैकेल्टी की एक गर्ल स्टूडेंट के साथ तीन लड़कों ने छेड़खानी की थी. शोर मचाने पर भी 20 मीटर दूर खड़े सिक्युरिटी गार्ड्स ने कोई मदद नहीं की थी. विक्टिम ने हॉस्टल में आकर वार्डेन से शिकायत की. मगर कोई एक्शन नहीं लिया गया. बाद में विरोध प्रदर्शन के दौरान बीएचयू कैंपस में शनिवार देर रात पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्र-छात्राओं पर जमकर लाठीचार्ज किया, जिसमें कुछ स्टूडेंट्स घायल भी हुए थे.

 

 

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