जब दो कारोबारी जाइंट एक साथ मिल जायें तो वे क्या गुल खिला सकते हैं, इसका उदाहरण है गूगल और  दैनिक हिंदुस्तान  का वह अघोषित मिलन जिसकी बदौलत दोनों एक दूसरे को फायदा पहुंचाने के लिए अनैतिक गठबंधन कर चुके हैं.

रविवार पांच बजे शाम का स्क्रीनशाट
रविवार पांच बजे शाम का स्क्रीनशाट


.इस तस्वीर को गौर से देखिए. यह इंटरनेट पर न्यूज परोसने का सबसे बड़ा जंक्शन है. जो गूगल न्यूज का प्लेटफार्म है. गूगल न्यूज देश के तमाम बड़े मीडिया से नेट पर अपलोड होने वाली हिंदी खबरों को एक जगह जमा कर देता है. जिनमें तमाम मीडिया हाउसेज की खबरें हुआ करती हैं. लेकिन पिछले एक हफ्ते से गूगल ने अपने तमाम टाप न्यूज में सबसे पहले हिंदुस्तान लाइव को जगह देना शुरू कर दिया है. जबकि दूसरे बाकी मीडिया की खबरें नीचे कर दी जा रही हैं.

नौकरशाही डाट काम के एडिटर इर्शादुल हक का कहना है कि गूगल ने हिंदुस्तान पर विशेष मेहरबानी तब से देनी शुरू कर दी है जबसे हिंदुस्तान अखबार समेत तमाम बड़े अखबारों ने गूगल न्यूज का मुख्य पृष्ठ के अलावा दूसरे पृष्ठ पर विज्ञापन छापा था. यह विज्ञापन दैनिक हिंदुस्तान के तमाम एडिशनों में भी इसी पिछले हफ्ते ही छपा था.

सवाल यह भी है कि क्या गूगल का यह गठबंधन या उसकी मेहरबानी सिर्फ हिंदुस्तान पर क्यों हो रही है?

लगता है कि हिंदी के दूसरे दिग्गज मीडिया समुहों की नजर गूगल के इस कारिस्तानी पर नजर नहीं पड़ी है. या अगर पड़ी भी है तो वे गूगल के सामने बेबस हैं. कारोबार में गूगल के एकाधिकार का लाभ किसी एक मीडिया को देना नैतिक रूप से गलत है. लेकिन गूगल का न्यूज प्लेटफार्म इस काम को अंजाम दे रहा है. इससे पाठकों की मजबूरी होगी कि वे सबसे पहले लाइ हिंदुस्तान की खबरें ही पढ़ें. वैसे गूगल अनालिट्कस की रैंकिंग के लिहाज से लाइ हिंदुस्तान अब तक फिसिड्डी साबित होता रहा है, लेकिन गूगल और हिंदुस्तान के इस अनैतिक गठबंधन के बाद अब संभव है कि हिंदुस्तान की रैंकिग में भारी उछाल हो.

By Editor