शिक्षक बहाली : RJD किसी दबाव के आगे नहीं झुक रहा, ये हैं 3 कारण

शिक्षक बहाली में सहयोगी दलों ने बहुत दबाव बनाया कि सभी शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिले। RJD किसी दबाव के आगे नहीं झुक रहा। ये हैं तीन बड़े कारण।

कुमार अनिल

शिक्षक बहाली को लेकर महागठबंधन के विभिन्न दल आमने-सामने हैं। सहयोगी दलों खासकर वामदलों ने काफी दबाव बनाया कि सारे शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे दिया जाए, लेकिन राजद इस मांग को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि शिक्षक बहाली बीपीएससी के माध्यम से होगी। राजद इन तीन कारणों से सहयोगियों के दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है।

सोमवार को शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि हम प्रदेश में शिक्षक बहाली कर रहे हैं, सिपाही बहाली नहीं। गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा। शिक्षा मंत्री के इस बयान में राजद के न झुकने की पहली वजह दिखती है। राजद का जोर गुणवत्ता पर है। यह आम धारणा बन गई है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती। बच्चे जाते हैं और खिचड़ी खाकर लौट जाते हैं। इसी परसेप्शन और स्थिति के कारण गांव-गांव में प्राइवेट स्कूल खुल रहे हैं। राजद इस धारणा को बदलना चाहता है। अगर राजद इस धारणा को बदल पाने में सफल हुआ, तो इसका राजनीतिक-सामाजिक व्यापक असर होगा।

सहयोगी दलों के दबाव के आगे राजद के न झुकने की दो और भी वजहें हैं। हर प्रदेश की सरकार अपनी किसी खास उपलब्धि को राष्ट्रीय स्तर पर पेश करती है। दिल्ली सरकार अपनी स्कूली शिक्षा को मॉडल के रूप में पेश करती है। राजस्थान सरकार गैस सब्सिडी को अपनी उपलब्धि बता रही है। कर्नाटक सरकार अपनी पांच गारंटी का प्रचार कर रही है। बिहार सरकार खासकर राजद और तेजस्वी यादव किस बात को देश में अपनी उपलब्धि बताएंगे? तेजस्वी यादव ने पिछले चुनाव में पढ़ाई को बड़ा मुद्दा बनाया था। अब वे सरकार में हैं। 2025 में बिहार में चुनाव होगा। राजद की कोशिश है कि ढाई वर्षों में बिहार की स्कूली शिक्षा में आमूल परिवर्तन दिखे और पढ़ाई न होने के दाग को मिटा कर मॉडल छवि बनाई जाए।

बिहार राजद के प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि स्कूलों में गरीबों-दलितों के बच्चे ही सबसे ज्यादा पढ़ते हैं। इन स्कूलों में क्वालिटी एडुकेशन देकर ही इनके भविष्य को उज्जवल बनाया जा सकता है। लालू प्रसाद जब मुख्यमंत्री थे, तब भी बीपीएससी के माध्यम से शिक्षक नियुक्ति हुई थी। उन शिक्षकों का स्तर आज भी अच्छा माना जाता है।

सहयोगी दलों के आगे न झुकने की तीसरी वजह है तेजस्वी यादव की छवि। उन्होंने 2020 विधानसभा चुनाव में कई वादे किए थे। अब वे सरकार में हैं। उन मुद्दों में एक प्रमुख पढ़ाई भी था। इसीलिए राजद रूटीन कार्यों में ही दिन बिताना नहीं चाहता। उसकी कोशिश है कि जमीन पर बदलाव दिखे। आम लोग उस बदलाव को महसूस कर सकें। ऐसा करके ही तेजस्वी यादव की अच्छे प्रशासक की छवि बन सकती है। उनके पास राज्य में सबसे बड़ा जनाधार है, लेकिन बिहार को बदल देनेवाली छवि अभी नहीं बन पाई है। इसीलिए राजद तात्कालिक लाभ के बजाए दूरगामी रणनीति पर काम कर रहा है। राजद ऐसा करने में सफल हुआ, तो उसके जनाधार का न सिर्फ मनोबल बढ़ेगा, बल्कि जनाधार में विस्तार भी होगा।

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