तेजस्वी का अल्टीमेटम, Caste Census नहीं, तो कोई Census नहीं

तेजस्वी यादव ने आज नीतीश सरकार को खुला अल्टीमेटम दे दिया। कह दिया, अगर जातीय जनगणना नहीं, तो कोई जनगणना नहीं होने देंगे। JDU-BJP में बढ़ेगी उठा-पटक।

बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राज्य की जदयू-भाजपा सरकार को आज खुली चुनौती दे दी। उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार जातीय जनगणना नहीं कराती, तो प्रदेश में को जनगणना नहीं होने देंगे। तेजस्वी यादव के इस चैलेंज से भाजपा और जदयू के बीच खींच-तान बढ़ना तय है।

तेजस्वी यादव ने आज दो टूक शब्दों में कहा-भाजपा घोर सामाजिक न्याय विरोधी पार्टी है। बिहार विधानसभा से जातिगत जनगणना कराने का हमारा प्रस्ताव 2 बार सर्वसम्मति से पारित हो चुका है। लेकिन BJP और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लिखित में जातिगत जनगणना कराने से मना कर दिया है। इसके बाद तोजस्वी ने चुनौती भरे शब्दों में कहा- बिना जातीय जनगणना के बिहार में कोई जनगणना नहीं होने देंगे।

तेजस्वी यादव की इस कड़ी चेतावनी के तीन अर्थ हैं। पहला, इससे जदयू और भाजपा में खाई बढ़ेगी। जदयू जातीय जनगणना के पक्ष में तर्क देता रहा है। उसका सामाजिक आधार भी मुख्यतः पिछड़ा वर्ग है और इस वर्ग की ही सबसे ज्यादा जरूरत भी है, ताकि उसके बाद आरक्षण सहित सहित सरकार की योजनाओं में उनकी हिस्सेदारी बढ़े। इसलिए जदयू पर दबाव उसके सामाजिक आधार का भी है। वह अपने सामाजिक आधार की आकांक्षा की जितनी उपेक्षा करेगा, उतना उसके आधार में संशय, बिखराव बढ़ेगा।

तेजस्वी के इस अल्टीमेटम का दूसरा निशाना भाजपा है। भाजपा नहीं चाहती कि जातीय जनगणना हो। भाजपा अपने सवर्ण सामाजिक आधार की आकांक्षाओं के अनुरूप इस मांग का समर्थन नहीं कर सकती। तेजस्वी इस अल्टीमेटम से भाजपा के इर्द-गिर्द जमा पिछड़ों को अलग कर उसे सिर्फ सवर्णों तक सीमित कर देना चाहते हैं, जैसा वह 2005 के पहले थी।

तेजस्वी के इस चैलेंज का तीसरा निशाना नित्यानंद राय हैं। भाजपा उन्हें आगे करके राजद के सामाजिक आधार में अपने लिए जगह तलाश रही है। अब राजद की कोशिश है कि नित्यानंद राय को पिछड़ों से अलग-थलग कर दिया जाए। उन्हें सवर्ऩों का प्रवक्ता तक सीमित कर दिया जाए।

राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि भाजपा पिछड़ा विरोधी है। वह नहीं चाहती कि पिछड़ों को विकास में उसका हिस्सा मिले। उन्होंने कहा कि नित्यानंद राय पिछड़ों की हकमारी के लिए काम कर रहे हैं। इसीलिए जिस मुद्दे पर पूरा बिहार सहमत है, उसके खिलाफ उन्होंने संसद में बयान दिया। जनता ने उन्हें पहचान लिया है।

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