तेजस्वी का सियासी दांव, पीएम से मांगा कर्पूरी के लिए भारत रत्न

तेजस्वी यादव ने आज ऐसा सियासी दांव खेला, जिसमें प्रधानमंत्री हां करे, तो भी फायदा और ना करें तो ज्यादा फायदा। PM से मांगा कर्पूरी के लिए भारत रत्न।

बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में अपने संबोधन में ऐसी मांग की, जिसकी गूंज 2024 लोकसभा और 2015 विधानसभा चुनाव में भी सुनाई पड़ेगी। तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न का सम्मान देने की मांग की। प्रधानमंत्री की हां में भी तेजस्वी यादव को फायदा है और ना में कहीं ज्यादा फायदा है।

बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी वर्ष समारोह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की उपस्थिति में तेजस्वी यादव ने कहा-बिहार लोकतंत्र की जननी है अतः यहां से एक संदेश पूरे देश में जाना चाहिए। हम अलग-अलग दलों से इस विधानमंडल में है लेकिन हमारी वैचारिक प्रतिस्पर्धा राजनीतिक शत्रुता में नहीं बदलनी चाहिए। समाज के हर वर्ग की आबादी के अनुसार भागीदारी और हिस्सेदारी से ही लोकतंत्र समृद्ध और समावेशी होगा।

माननीय प्रधानमंत्री जी…जैसा मैंने पहले कहा कि हमारे राज्य के वैशाली से ही लोकतंत्र बाकी जगहों पर प्रसारित हुआ। अतः मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि School of Democracy & Legislative Studies जैसी एक संस्था बिहार में स्थापित हो। जिसके माध्यम से विधायी और लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं पर शोध एवं अध्ययन के अवसर और प्रशिक्षण दिया जा सके। पूरे देश के जनप्रतिनिधियों, युवाओं और संबंधित कर्मचारियों को इससे लाभ मिलेगा। आशा है आप हमारी इस मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार करेंगे।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी, आपने Deserving और विशेषज्ञ व्यक्तियों को पद्मश्री पद्म विभूषण इत्यादि सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार देने की एक स्वस्थ एवं सकारात्मक परंपरा स्थापित की है। इसी प्रांगण में हम जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की आदमक़द प्रतिमा के बगल में बैठे है। हमारी माँग है कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न देकर इस शताब्दी वर्ष समारोह एवं देश के किसी भी प्रधानमंत्री के बिहार विधानसभा प्रांगण में प्रथम आगमन को और अधिक यादगार बनाने की कृप्या करें। यहाँ उपस्थित हरेक माननीय सदस्य की यह हार्दिक इच्छा है कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को अवश्य ही भारत रत्न मिलना चाहिए।

लोकतंत्र के समक्ष कई चुनौतियां हैं लेकिन हम सामूहिक प्रयास और संकल्प से जनतंत्र को धनतंत्र और छलतंत्र से बचा सकते हैं। हमारे पुरखों ने हमें लोकतंत्र की समृद्ध विरासत सौंपी। आवश्यकता है कि हम सब मिलकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करें।

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