तेरापंथ महिला मंडल के 25 वर्ष, समाजसेवा से बनाई पहचान

25 साल पहले तेरापंथ महिला मंडल से जुड़कर महिलाएं घूंघट और घर की दहलीज से बाहर निकलीं। स्कूलों में बेटियों की मदद में उतरीं। समाजसेवा के जरिये बनाई पहचान।

पुष्पा बैद

वर्ष 1947 में जब भारत आजाद हुआ, तब महिलाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। रुढ़ियों में कैद नारी घूंघट के अंधेरे में घर की चारदीवारी में सिमटी थी। तब  नारी जागृति के सुत्रधार आचार्य श्री तुलसी के मानस पटल पर नारी विकास को लेकर एक कल्पना उभरी। वे चाहते थे कि महिलाएं भी परिवार, समाज और देश के विकास में अपना योगदान करें।

आचार्य श्री तुलसी की परिकल्पना को साकार करने के लिए तेरापंथ महिला मंडल का गठन किया गया। 13 सदस्यों से इस संगठन की शुरुआत हुई और आज 450 शाखा मंडलों के माध्यम से 70,000 महिलाएं इस संगठन से जुड़ी हैं।

1996 में साध्वी श्री कंचन प्रभा जी का पावन प्रवास चातुर्मास के दौरान पटना में हुआ। साध्वी श्री जी की प्रेरणा से पटना में तेरापंथ महिला मंडल का गठन हुआ। ‌उस समय 31 महिलाएं संगठन से जुड़ीं।

नये संगठन की प्रथम अध्यक्ष बनीं सुशीला देवी बैद। उन्होंने अपने श्रम से संगठन को सींचा। आज तक तेरापंथ महिला मंडल, पटना अनेक पड़ावों को पार करते हुए समाजसेवा के बल पर अपनी पहचान बना चुका है।

तेरापंथ महिला मंडल सामाजिक संगठन है और अध्यात्म इसका प्राणतत्व है। महिला मंडल, पटना इस वर्ष रजत जयंती वर्ष मना रहा है। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में एक साथ 450 क्षेत्रों से 70,000 महिलाएं केसरिया परिधान में बाहर निकलती हैं, तो महिला शक्ति जीवंत हो जाती है।

महिला मंडल की योजनाएं-1. स्वस्थ परिवार, स्वस्थ समाज 2.कन्या सुरक्षा योजना 3 आओ चलें गांव की ओर और 4. तुलसी शिक्षा परियोजना

 वातायन – समृद्ध इतिहास का

1996 – 1998 इस कार्यकाल का कुशल नेतृत्व सुशीला देवी बैद ने किया। प्रेम बैंगानी ने सचिव थीं। हर शनिवार को आध्यात्मिक गतिविधियों के साथ सामाजिक गतिविधियां, गोष्ठियां भी आयोजित की जाती थीं।

1898 – 1999 इस वर्ष गुलाब घोड़ावत ने नेतृत्व किया। प्रेम बैंगानी ने ‌मंत्री के रूप में सहयोग किया। महिला मंडल का सामाजिक दायरा बढ़ने लगा। बिहार उद्योग महिला संगठन से जुड़कर महिलाओं ने सशक्तिकरण की राह पर नये कदम बढ़ाये।

1999- 2000 एक बार फिर नेतृत्व की बागडोर सुशीला देवी बैद ने संभाली। सरिता भूतोड़िया ने मंत्री पद का कार्य संभाला। संगठन को मजबूती मिली।

2000 – 2001 कार्यकाल का नेतृत्व सुशीला देवी बोथरा ने किया। मंत्री पद का उत्तरदायित्व संभाला सरिता भूतोड़िया ने। इस वर्ष साध्वी श्री आनंद श्री जी का चातुर्मास पटना में हुआ। साध्वी श्री जी के सानिध्य में आध्यात्मिक गतिविधियों में महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।

2001 – 2003 कार्यकाल का नेतृत्व प्रेम बैंगानी ने किया। अंजू दुगड़ ने मंत्री पद को सुशोभित किया। संस्था की गतिविधियां सुचारू रूप से संपादित होती रहीं।

2003 – 2005 कार्यकाल का नेतृत्व माली देवी बोथरा ने किया। मंत्री पद का कार्यभार संभाला सरोज मालू ने संभाला। साप्ताहिक गोष्ठियां नियमित रूप से होतीं। आपकी अद्भुत नेतृत्व क्षमता से प्रभावित होकर 2005-  2007 कार्यकाल का नेतृत्व आपके सुदृढ़ हाथों में सौंप दिया गया। इस बार मंत्री बनीं शशि जी वोहरा। वर्ष 2005  में निर्वाण श्री जी का चातुर्मास पटना में हुआ। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार सभी गतिविधियां सुचारू रूप से चलीं। साध्वी श्री जी के प्रवास ने उत्साह और भी बढ़ा।

2007- 2009 कार्यकाल का नेतृत्व अंजू दुगड़ ने किया। चंचल बैंगानी ने मंत्री पद का निर्वहन किया। युवा अध्यक्ष-मंत्री की जोड़ी ने महिला मंडल की रौनक बढ़ाई। वर्ष 2008 में साध्वी श्री त्रिशला कुमारी जी का चातुर्मास पटना में हुआ। जैन‌ विद्या की परीक्षाएं होने लगीं।

2009 – 2011 कार्यकाल का नेतृत्व सरिता भूतोड़िया ने किया। मंत्री पद को संभाला सुमन बोथरा ने। एक बार फिर युवा अध्यक्ष-मंत्री की जोड़ी ने महिला मंडल में जोश भर दिया। महिला मंडल ने कन्या सुरक्षा योजना पर‌ गंभीरता से कार्य किया। एक वक्त था जब कन्या भ्रूण हत्या आम बात थी। वर्ष 2011 में भ्रूण हत्या के खिलाफ पूरे देश में जागृति का अभियान चलाया। ऐलान नाटिका की प्रस्तुति पूरे देश में जहां -जहां महिला मंडल के केन्द्र थे वहां पर हुई। पटना में ऐलान नाटिका की प्रस्तुति वृहद स्तर पर हुई।

2011-2013 कार्यकाल का नेतृत्व शशि जी वोहरा ने किया। मंत्री कुसुम बरमेचा ने सक्रियता के साथ कार्य भार संभाला।

वर्ष 2011 में पटना में ज्ञानशाला की स्थापना हुई। ज्ञानशाला तेरापंथ समाज का महत्वपूर्ण उपक्रम है। ज्ञानशाला में 5से 15 वर्ष तक के बच्चों को प्रशिक्षण दिया जाता है। उद्देश्य है- बाल पीढ़ी में संस्कार निर्माण। ज्ञानशाला में बच्चों को प्रशिक्षित करना महिला मंडल का मुख्य कार्य है।

2013-2015 कार्यकाल का नेतृत्व एक बार फिर शशि जी वोहरा को दिया गया। जोशीली जयश्री पगारिया ने मंत्री पद संभाला। दोनों के नेतृत्व में संस्था का विस्तार हुआ। महिला मंडल भारत विकास परिषद द्वारा संचालित संजय आनंद विकलांग अस्पताल से जुड़ी। प्रतिवर्ष तेरापंथ महिला मंडल पटना द्वारा सहयोग राशि प्रदान की जाती है।

2015 – 2017 कार्यकाल का नेतृत्व जयश्री पगारिया ने किया। मीना दुगड़ ने मंत्री पद संभाला। 2017में परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी का पुण्य प्रवास चार दिनों के लिए पटना में हुआ। आचार्य प्रवर के साथ साध्वी प्रमुखा श्री कनकप्रभा जी व अन्य साधु- साध्वियों का प्रवास भी हुआ। महिला मंडल ने साध्वियों व आगंतुकों की व्यवस्था व अन्य कार्यक्रमों में सक्रियता के साथ योगदान दिया।

2017-2019 कार्यकाल का नेतृत्व अंजू दुगड़ ने किया। मंत्री पुष्पा बैद ने उनके साथ सक्रियता से कार्य को संभाला। बाल स्वच्छता अभियान निर्माण का शुभारंभ अमला टोला कन्या मध्य विद्यालय में शुरू किया गया। 6 महीने तक महिला मंडल पटना की टीम ने कन्याओं को सघनता से प्रशिक्षण दिया। प्रदूषणमुक्त दिवाली का प्रशिक्षण दिया गया। रंगोली प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। स्वास्थ्य केंप लगे। 8 मार्च, 2018 को we can रैली का आयोजन अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में किया गया। इसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ। कैंसर अवेयरनेस, पेरेंटिंग व अन्य विषयों पर सेमिनार हुए।

2019- 2021 कार्यकाल का नेतृत्व चंचल बैंगानी कर रही हैं। एक बार फिर मंत्री पद का उत्तरदायित्व पुष्पा बैद ने संभाला है। हेप्पी एंड हार्मोनियस फेमिली ‌सेमिनार, संतुलित आहार द्वारा आरोग्य प्राप्ति सेमिनार आयोजित किए गए। सप्तदिवसीय प्लास्टिकमुक्त भारत महाअभियान चलाया गया। मानव श्रृंखला बनाकर प्लास्टिक का नुकसान बताया गया। स्कूलों में भाषण प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता, नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागृति लाने का प्रयास किया। कपड़े के थैले वितरित किए गए। 8 मार्च, 2020 अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर women on wheels स्कूटी रैली का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें अन्य महिला संगठनों ने भी भाग लिया, जिसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ।

कोविड की विषम परिस्थितियों में महिलाओं ने आध्यात्मिक गतिविधियों के माध्यम से मनोबल बढ़ाया, सभी की देखभाल व सेवा की। महिला मंडल ने भोजन व सुखा राशन का वितरण किया। कोविड-19 के दौरान स्वास्थ्य, सावधानी, ग्रीन दिवाली जैसे विषयों पर वेबीनार हुए।

अन्नपूर्णा – The clean plate campaign चलाया गया जिसके अंतर्गत अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। Leftover ka Makeover प्रतियोगिता में तेरापंथ महिला पटना ने चतुर्थ स्थान प्राप्त किया। तुलसी शिक्षा परियोजना के अंतर्गत वनबंधु परिषद द्वारा संचालित आदिवासी बच्चों की एक स्कुल को 1 साल के लिए गोद लिया ।

स्वच्छता अभियान के अंतर्गत इनसेनरेटर मशीन लगवाये गये। वाटर प्यूरीफायर लगाये गये।

2021-2023 कार्यकाल के नेतृत्व के लिए श्रीमती पुष्पा बैद को अध्यक्ष पद पर मनोनीत किया गया है । मंत्री पद का उत्तरदायित्व श्रीमती सुमन जैन को दिया गया है।  योजनाएं

स्वस्थ परिवार, स्वस्थ समाज

स्वस्थ परिवार ही स्वस्थ समाज का परिचायक होता है। परिवारों में सामंजस्य बना रहे, रिश्तों में जीवंतता बनी रहे इसलिए कार्यशालाएं, सेमिनार, टाक शो, शिविर, चर्चा-परिचर्चा आयोजित किए जाते हैं जैसे- स्वस्थ परिवार कार्यशाला, संस्कार निर्माण शिविर,चित्त समाधि शिविर, सामंजस्य कार्यशाला आदि।

कन्या सुरक्षा योजना

कन्या भ्रूण हत्या मातृत्व के लिए अभिशाप है। यह समाज की विकृत मानसिकता को उजागर करता है।इस योजना के अंतर्गत कार्यशालाओं, रैलियों, संकल्प-पत्र, ज्ञापन पत्र, स्कूलों कालेजों की कन्याओं के बीच कार्यशालाओं के माध्यम से जागृति लाने का प्रयास किया गया। कन्या सुरक्षा योजना के कार्यों से संस्था की पहचान बनी।

आओ चलें गांव की ओर

भारत की आत्मा गांवों में बसती है। योजना का मुख्य उद्देश्य है शिक्षा, चिकित्सा, सेवा और स्वावलंबन के क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्रों में नये अवसर प्रदान करना।

महिलाओं को शिक्षित करना व उन्हें रोजगार के लिए सिलाई, कढ़ाई, बुनाई एवं अन्य प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनाना।

तुलसी शिक्षा परियोजना

ज्ञान का विकास जीवन को संस्कारित करता है। बौद्धिक विकास के साथ आत्मिक विकास के लिए आध्यात्मिक शिक्षण भी जरूरी है। यह योजना दो भागों में संचालित है- तत्वज्ञान व तेरापंथ दर्शन पाठ्यक्रम तथा आचार्य तुलसी मुक्त विद्यालय योजना।

देश की 450 इकाइयों में पटना को मिला तीसरा स्थान : अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की देश में 450 इकाइयां है। ग्राम श्रेणी में पटना इकाई को तीसरा पुरस्कार मिला है।

By Editor