टिकट देने का नया तरीका : प्रियंका ने वाल्मीकि समाज से मांगा नाम

आपको अरुण वाल्मीकि का नाम याद है? आगरा का वही युवा जो सफाईकर्मी था और जिसकी पुलिस हिरासत में मौत हुई थी। अब प्रियंका ने यहीं किया नया प्रयोग।

आगरा में वाल्मीकि समाज के चौधरियों और प्रमुख लोगों के साथ बैठक करतीं प्रियंका गांदी.

चुनाव में टिकट के लिए मारामारी से आप परिचित हैं। टिकट कैसे मिलता है, आप यह भी जानते हैं। बसपा प्रमुख मायावती का टिकट कैसे मिलता है, इससे भी सभी वाकिफ हैं। टिकट देने का फैसला हमेशा ऊपरवाले के हाथ में होता है। कभी नीचे आम लोगों से नहीं पूछा जाता कि टिकट किसे दिया जाए।

महिलाओं को 40 फीसदी टिकट, अलग से महिलाओं के लिए घोषणापत्र, मैं लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा देने के बाद अब प्रियंका गांधी ने यूपी में फिर एक नया प्रयोग किया है। उन्होंने आगरा में वाल्मीकि समाज के चौधरियों के साथ बैठक की और समाज से ही आग्रह किया किया कि आप एक नाम तय कर दें। आप जिसे तय करेंगे, कांग्रेस का टिकट उसी को मिलेगा।

यहां से हाथरस ज्यादा दूर नहीं है, जहां इसी समाज की बेटी के साथ जो हैवानियत हुई, उसे कोई नहीं भूल सकता। लोगों को यह भी याद है कि राज्य की योगी सरकार ने किस प्रकार मामले को दबाने की कोशिश की। किस प्रकार राहुल और प्रियंका तमाम अवरोधों के बाद हाथरस पहुंचे थे।

हाथरस से आगरा तक इस इलाके में वाल्मीकि समाज की अच्छी संख्या है। प्रियंका गांधी ने कहा कि वाल्मीकि समाज लगातार उत्पीड़न का शिकार हो रहा है। वह चाहती हैं कि इस समाज का कोई ऐसा व्यक्ति चुनाव में उतरे, जो समाज की आवाज बने। इसके लिए उन्होंने इसी समाज से एक नाम तय करने का आग्रह किया। यह लोकतांत्रिक तरीका तो है ही, इसका असर यह होगा कि जो वाल्मीकि समाज के चौधरी मिलकर नाम तय करेंगे, वे जी-जान से चुनाव में भी लगेंगे। साथ ही इसका एक संदेश पूरे यूपी के वाल्मीकि समाज में जाएगा। इस दांव से माना जा रहा है कि प्रदेश में पहले से कांग्रेस की तरफ झुका वाल्मीकि समाज कांग्रेस के साथ हो सकता है।

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