टिकैत के इस बयान से बिहार में फैल सकता है आंदोलन

एक तरफ संयुक्त किसान मोर्चा 26 को इंटरनेशनल वेबिनार कर रहा है, वहीं राकेश टिकैत ने ऐसी बात कही कि अब बिहार में भी फैल सकता है किसान आंदोलन।

कुमार अनिल

संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहा किसान आंदोलन रोज एक मील का पत्थर रख देता है। आज उसने अंतरराष्ट्रीय वेबिनार करने की घोषणा की है। यह पहला अवसर है, जब कोई किसान आंदोलन ऐसा इंटरनेशनल वेबिनार कर रहा है, जिसमें दुनियाभर के किसान संगठन साथ आकर चर्चा करेंगे कि कैसे किसानों के हितों को पूंजी के हमले से बचाया जाए।

इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने आज एक बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि देश में चल रहा किसान आंदोलन जमीन बचाने के लिए है। उन्होंने पहली बार आंदोलन को जमीन बचाने की लड़ाई बता कर बिहार में भी आंदोलन के विस्तार की संभावना पैदा कर दी है।

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बिहार में फसलों की उचित कीमत के लिए कभी कोई बड़े आंदोलन का इतिहास नहीं रहा, लेकिन जमीन के सवाल पर कई ऐतिहासिक आदोलन बिहार में हुए हैं। स्वामी सहजानंद सरस्वती का किसान आंदोलन जमीन के सवाल पर ही था। तब जमींदार किसानों को मनमानी तरह से जमीन से बेदखल कर देते थे।

चंपारण में जब महात्मा गांधी आए, तब भी जमीन प्रमुख सवालों में एक था। बिहार में 80 के दशक में माले के आंदोलन का एक प्रमुख मुद्दा भी जमीन ही था। अब किसान नेता राकेश टिकैत ने इस आंदोलन को जमीन बचाने का आंदोलन बताकर उसके बिहार में भी विस्तार की संभावना पैदा कर दी है।

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राकेश टिकैत ने कहा कि आज का किसान आंदोलन जमीन बचाने के लिए है। हम शाहूकार से लड़ते रहे हैं, सरकार से भी लड़ लेंगे, लेकिन जब हमारी जमीन पर कंपनियों का कब्जा हो जाएगा, तो वह लड़ाई मुश्किल होगी। इसलिए हम देशभर में घूम-घूम कर पंचायत करेंगे। अब देखना है कि बिहार के किसान संगठन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को बिहार में किस प्रकार जमीन बचाने के आंदोलन में तब्दील कर पाते हैं।

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