टूट के कगार पर मुकेश सहनी की पार्टी VIP

सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी यूपी में अपमानित होने के बाद कराह भी नहीं सकते। दर्द बयां करें, तो पार्टी टूट जाएगी, अपमानित होकर चुप रहें, तब भी पार्टी टूटेगी।

कभी गरज के साथ राजनीति में प्रवेश करनेवाले सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी आज गरज नहीं पा रहे। वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी को यूपी में अपमानित होना पड़ा। उन्हें बनारस एयरपोर्ट पर ही रोक दिया गया और जबरन कोलकाता भेज दिया गया। वहां से पटना पहुंचे।

मुकेश सहनी को यूपी में भाजपा का पहला रियल टेस्ट मिला। मुश्किल यह है कि वे अपमान का जिक्र भी नहीं कर पा रहे। यह तक नहीं कह पा रहे कि इस अपमान का जवाब देंगे। उनकी मुश्किल यह है कि अगर वे अपने अपमान पर रोष जताएंगे, तो उनकी अपनी ही पार्टी के विधायक विरोध में खड़े हो जाएंगे। पार्टी के एक विधायक राजू सिंह ने उन्हें चैलेंज कर भी दिया है।

अगर मुकेश सहनी चुप रह जाते हैं, तब भी उनकी पार्टी में बिखराव तय है। उत्तर प्रदेश में उन्होंने 165 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। 25 जुलाई को यूपी के 18 जिलों में फूलन देवी शहादत दिवस और प्रतिमा स्थापना का कार्यक्रम था। पुलिस ने मुकेश सहनी को बनारस से जबरन लौटा दिया और 18 जिलों का कार्यक्रम भी नहीं हो सका।

अब मुकेश सहनी चुप रह जाते हैं, यूपी में चुनाव नहीं लड़ते हैं, तो यूपी में वाआईपी पार्टी का अस्तित्व शायद ही बचे। बिहार में भी उनकी प्रतिष्ठा नहीं बचेगी। आखिर स्वाभिमान और राजनीतिक हिस्सेदारी की बात करके ही तो उन्होंने जनाधार को संगठित किया है। उनकी चुप्पी से मल्लाह जनाधार में निराशा आएगी और बिहार का जनाधार भी बिखर जाएगा। अगर मुकेश सहनी अपमान सहकर भी भाजपा के साथ रहते हैं, तो उनका जनाधार राजद की तरफ जाएगा। यूपी में अपमान पर चुप्पी उनके राजनीतिक भविष्य पर ताला लगा देगा।

अगर मुकेश सहनी यूपी में अपमान पर बोलते हैं, तब भी पार्टी टूटेगी।

25 जुलाई को फूलन देवी के शहादत दिवस पर ही मुकेश सहनी को आभास हो जाना चाहिए था। उस दिन किसी भाजपा नेता ने फूलन देवी के सम्मान में दो शब्द तक नहीं कहे। फूलन देवी को यूपी में अखिलेश यादव और बिहार में तेजस्वी यादव ने सम्मान के साथ याद किया।

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तो क्या मुकेश सहनी अब एनडीए से अलग होंगे? अगर वे अलग होते हैं, तो बिहार की राजनीति में उथल-पुथल मचना तय है। इसी के साथ राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा शुरू हो गई है कि इस बार 15 अगस्त को गांधी मौदान से तिरंगा झंडा कौन फहराएगा?

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