त्रिवेणीगंज अस्पताल : स्ट्रेचर व बेड से चादर गायब, मरीज लाचार

अनुमंडलीय अस्पताल के एएनएम ट्रेनिंग सेंटर में चल रहे जनरल वार्ड में कई बेड ऐसे मिले, जिनमें गद्दे फटे हैं, चादर भी नहीं। मरीज फटे गद्दे पर लेटने को मजबूर।

फाइल फोटो

प्रशांत कुमार

सरकारी अस्पतालों में कुव्यवस्था का आलम क्या है, यह बताने की जरूरत नहीं है। त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल भी सरकारी कुव्यवस्था का प्रतीक है। सरकार हर साल इस अस्पताल पर करोड़ों रुपये खर्च करती है। चिकित्सकों और कर्मचारियों को मोटी तनख्वाह मिलती है। आलम इसके बाद भी ऐसा है कि मरीजों को इन अस्पतालों में स्ट्रेचर और चादर जैसी मामूली सुविधाओं का भी अभाव है। परिजनों ने बताया कि यह किस्सा हर रोज का है, मगर कोई सुधार नहीं हैं।इस गंभीर बातों से किसी भी अधिकारियों को कुछ लेना-देना नहीं है।

बेड से चादर गायब:-

अनुमंडलीय अस्पताल के एएनएम ट्रेनिंग सेंटर में चल रहे जनरल वार्ड में कई बेड ऐसे मिले, जिनमें गद्दे फटे हुए हैं और उन पर चादर भी डाली हुई नहीं हैं। मरीज बिना चादर के फटे गद्दे पर ही लेटने को मजबूर हैं। यहां चंद बेड पर ही मॉनिटर लगे हैं, वे भी शोपीस बने हुए हैं। इन्हें कम ही चलाया जाता है।

सुविधाओं का भी है घोर अभाव

अनुमंडल अस्पताल की लचर व्यवस्था का जिम्मेदार वर्तमान प्रभारी उपाधीक्षक को माना जा रहा है, जिससे अस्पताल व मरीजों की देखभाल नहीं हो पा रही है। प्रभारी उपाधीक्षक के अस्पताल से बराबर गायब रहने से अस्पताल में मरीजों के साथ कई बार दुर्व्यवहार किया जाता है। डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय यहा भी उनकी समय पर मदद करने से बचते हैं। केवल औपचारिकता निभायी जाती है। अनुमंडलीय अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है। अस्पताल का सिस्टम ही बिगड़ गया है, जिसका खमियाजा मरीज भुगत रहे हैं। अस्पताल के कई डॉक्टर झूठा बहाना बनाकर गायब रहते हैं।

को सच्चे व अच्छे प्रभारी उपाधीक्षक की दरकार

सजग प्रहरी बन कर डॉक्टर, नर्स, लैब टेक्नीशियन आदि ने कोरोना से लड़ाई में महती भूमिका का निर्वहन किया है। एक वर्ग निजी अस्पतालों के बजाय सरकारी अस्पतालों में इलाज कराना सही मान रहा है। त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में कोई योग्य चिकित्सक के प्रभारी उपाधीक्षक नहीं रहने के कारण पुनः महामारी कोरोना की घातकता, भयावहता व असाध्यता को देखते हुए अनुमंडलीय अस्पताल में किसी भी तरह की मरीजों की उपेक्षा आम बात हो चुकी है। वर्तमान चिकित्सा प्रभारी की लापरवाही तथा संवेदनहीनता से अस्पताल में लचर चिकित्सा व्यवस्था व्याप्त है।

पूर्व के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. इंद्रदेव यादव का कार्यकाल रहा अच्छा

स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल में जो भी प्रभारी उपाधीक्षक बने, उन्होंने अस्पताल को वित्तीय अनियमितता की ओर धकेल दिया। लोगों ने कहा कि जुलाई 2015 से अक्टूबर 2017 तक अस्पताल के सीनियर चिकित्सक व पूर्व के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. इंद्रदेव का कार्यकाल सबसे अच्छा व सराहनीय रहा है। हालांकि डॉ. इंद्रदेव यादव के ऊपर अस्पताल में पदस्थापित कुछ कर्मियों के द्वारा आरोप भी लगते रहे हैं। लोगों ने इसका मुख्य कारण यह बताया है कि डॉ. इंद्रदेव यादव एक कुशल चिकित्सक हैं और वह कुछ कड़ा बोलते हैं। इस वजह से भ्रष्ट कर्मियों में खौफ का माहौल था और वे डॉ इंद्रदेव के खिलाफ षडयंत्र में लिप्त रहते थे।

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