वरिष्ठ पत्रकार Abhay Singh   पांच वाक्यों में NRC-CAA का यथार्त और उसके पीछे के षड्यंत्र को बता रहें हैं.

वरिष्ठ पत्रकार Abhay Singh   पांच वाक्यों में NRC-CAA का यथार्त और उसके पीछे के षड्यंत्र को बता रहें हैं.

जो लोग यह समझ रहे हैं कि नागरिकता संशोधन कानून और NRC अलग अलग चीज हैं, उनमें कोई मेल नहीं है, वे भूल भुलैया में है। या फिर खुद को दिग्भ्रमित कर रहे हैं, या दिग्भ्रमित हो रहे हैं।

हर भारतीय को nrc के तहत कानूनी तौर पर भारतीय कहलाने के लिए प्रूफ देना होगा। प्रूफ के बतौर यह दिखलाना होगा कि कोई भी व्यक्ति तीन पुष्त से भारत का होके रहा है, भारत में रहा है।

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दादा, परदादा से किसी के पिता को मिली जमीन सबसे बड़ा प्रूफ है। उस पुत्र के भारतीय होने का प्रूफ है। जिसे जमीन नहीं है, नहीं रहा है, उनकी समस्या होगी। क्या रास्ता निकलेगा नहीं कह सकते।

जो प्रूफ नहीं दे पाएगा, उसे नागरिकता संशोधन कानून के तहत राहत मिल सकती है। मुस्लिम को छोड़ कर अन्य को राहत मिल सकती है। परन्तु हम भारतीय हैं, भारत की नौकरशाही व्यवस्था भी है। प्रूफ निकालने के लिए घूस का रेट बढ़ सकता है। तबाही सबकी। पड़ोसी भी गैर भारतीय हो जा सकता है।

दो तीन दिन पहले बंबई हाई कोर्ट ने कहा है कि पासपोर्ट प्रूफ हो सकता है। आधार कार्ड, राशन कार्ड, चुनाव पहचान पत्र आदि नहीं।

जो प्रूफ नहीं दे पाएगा, उसे नागरिकता संशोधन कानून के तहत राहत मिल सकती है। मुस्लिम को छोड़ कर अन्य को राहत मिल सकती है। परन्तु हम भारतीय हैं, भारत की नौकरशाही व्यवस्था भी है। प्रूफ निकालने के लिए घूस का रेट बढ़ सकता है। तबाही सबकी। पड़ोसी भी गैर भारतीय हो जा सकता है।

सम्पादकीय नोट-

हमारा सुविचारित मत है कि नागरिकता कानून के तहत जैसे ही एक खास समुदाय की नागरिकता समाप्त होगी उसका भयावह असर समाजिक न्याय व बहुजन राजनीति करने वालों पर होगा और उनका जनाधार रेत की पहाड़ की तरह भरभरा कर गिर जायेगा. नतीजतन दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के भी लोकतांत्र अधिकार धवस्त हो जायेंगे.

By Editor