उत्तराखंड तबाही : फिर विकास मॉडल पर बहस, राजद ने पीएम को घेरा

उत्तराखंड में फिर तबाही आई है। वहां अंधाधुंध निर्माण पर 2013 के बाद फिर सवाल उठे हैं। जानिए राजद से जुड़े चिंतक संजय यादव और प्रबुद्ध लोगों ने क्या कहा।

कुमार अनिल

केवल सात वर्ष बाद उत्तराखंड एक बार फिर तबाही का शिकार हुआ है। इससे पहले 2013 में उत्तराखंड तबाही का शिकार हुआ था। आज आई तबाही में अबतक 10 लोगों के मारे जाने की खबर है। राहत और बचाव कार्य जारी है। थोड़े समय में स्थिति पर नियंत्रण कर लिये जाने की संभावना है।

इस बीच इलाके को जाननेवाले प्रबुद्ध लोगों के साथ ही पर्यावरणविद् और अन्य संवेदनशील लोगों ने एक बार फिर वहां जारी अंधाधुंध निर्माण पर सवाल उठाए हैं। मृणाल पांडे ने कहा कि देवभूमि और टूरिस्ट डेस्टिनेशन के नाम पर पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील जोन बनाने का कार्य तुरत रोका जाए। यहां जिस तरह से चौड़ी-चौड़ी सड़कों का निर्माण हो रहा है, बड़े-बड़े जल और बिजली के प्रोजेक्ट पर कार्य हो रहे हैं, उससे लाखों लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है। मालूम हो कि 2013 की तबाही के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई थी। उस कमेटी ने भी अंधाधुंध निर्माण पर सवाल उठाए थे।

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जेएनयू के पूर्व प्राध्यापक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा कि अलकनंदा फिर एक बार कह रही है कि निकल आओ पहाड़ में भी फोरलेन हाइवे के लालच से बाहर। निकलो ऐसे ‘विकास’ की चपेट से। कई लोगों ने पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र का कथन याद दिलाया-बाढ़ अतिथि नहीं, यह अचानक नहीं आती।

राजद से जुड़े सामाजिक चिंतक संजय यादव ने प्रधानमंत्री का बिना नाम लिये बिना कहा कि वो कभी अपनी चुनावी रैली स्थगित नहीं करेंगे, चाहे आपदा आए या सैकड़ों लोग मर जाएं। वे पुलवामा के वक्त भी शूटिंग में व्यस्त थे, कानपुर ट्रेन हादसे के वक्त भी नजदीकी जिले में रैली में मस्त थे। संजय यादव ने गोदी मीडिया पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि गोदी मीडिया को मानवता और नैतिकता दिखाते हुए विपक्ष से सवाल पूछना चाहिए।

इस बीच मिल रही जानकारी के अनुसार नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा का बहाव सामान्य हो गया है। सरकार के साथ ही कई सामाजिक संगठन भी बचाव में सक्रिय हैं। आईटीबीपी के जवान मुस्तैदी से बचाव में लगे हैं।

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