वीरकुंवर सिंह की ये कैसी जंयती, पौत्रवधू को घर में कैद किया

आज वीरकुंवर सिंह की जंयती पर गृहमंत्री अमित शाह आरा में हैं। वीर कुंवर सिंह की पौत्रवधू को घर में ही प्रसासन ने नजरबंद कर दिया है। ये कैसी जयंती ?

आज वीर कुंवर सिंह की जयंती की धूम है। आरा में बड़ा समारोह हो रहा है, जिसमें गृहमंत्री अमित शाह भी पहुंचे हैं। राज्य सरकार के कई मंत्री जमे हैं। वीर कुंवर सिंह की पैत्रवधू का एक वीडियो वायरल है, जिसमें वे बता रही हैं कि उन्हें उनके घर में ही प्रशासन ने नजरबंद कर दिया है। उन्हें अपने दादा की प्रतिमा पर फूल-माला अर्पित करने से भी रोक दिया गया है।

वीडियो में वीर कुंवर सिंह की पौत्रवधू कह रही हैं कि उनके बेटे की पीट-पीटकर पुलिस ने हत्या कर दी। उन्होंने जिले और राज्य के सारे अधिकारियों को पत्र लिखा, पार्टी कार्यालय (भाजपा) में भी लिख कर दिया, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वह कह रही हैं कि वीर कुंवर सिंह किसी जाति के लिए नहीं लड़े, पूरे देश के लिए लड़े। आज देश की जनता उन्हें न्याय दिलाए।

मालूम हो कि पिछले महीने वीर कुंवर सिंह के पौत्र कुंवर रोहित सिंह उर्फ बबलू सिंह की किले में ही मौत हो गई थी। परिवार का आरोप है कि किले में नियुक्त सुरक्षाकर्मियों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। महीना भर होने को है, पर आज तक पुलिस ने अपनी जांच पूरी नहीं की है। इधर, परिवार प्रशासन से निराश होने पर अब देशवासियों से न्याय दिलाने में सहयोग मांग रहा है।

इस बीच भाकपा माले नेता कमलेश शर्मा ने कहा कि कुंवर सिंह हिंदू-मुस्लिम एकता के पक्षधर थे। आज उन्हें जाति और हिंदुत्व के नाम से जोड़ने की कोशिश हो रही है, जो अनुचित है।

उन्होंने कुंवर सिंह के पत्र – जुल्फीकार अली के नाम भेजे हैं

(जुल्फीकार अली 1857 के महायुद्ध में जहानाबाद के नायक थे)

पत्र – 1

बेरादर जुल्फीकार,
उस दिन के जलसे में जो बातें तय है हुई वह तुम्हारे शरीक होने के वजह हुई. अब वक्त आ गया है कि हमलोग अपनी तैयारी जल्द करे – वो अब भारत को हमलोगों के खून की जरूरत है. तुम्हारा मदद से हम लोग इस तरफ बेफिकर हैं, यह पत्र तुम्हें कहां से लिखा जा रहा है, यह पत्रवाहक बतलायेगा. तुम्हारी अंगुसतरी मिल गई. इससे सब हाल मालूम हो गया. इससे दस्तार तलब करना तब जवाब पत्र दोगे. 15 जून को जलसा है. इस जगह पर रहना तुम्हारा जरूरी है. हमलोगों का आखिरी जलसा होगा. इसमें सब कानों को मुरतब कर लेना है.
मिनजानिब
बाबू कुंवर सिंह
मुहर कुंवर सिंह
बा : जसवंत सिंह
मई 1856

पत्र – 2

वक्त आ गया है. वो मेरठ क़ासिद रवाना हो वहां ही इतला का इंतजार है. कार्रवाई मोरतब कर लिया गया. तुम होशियार हो. वो काम अंजाम हो. हमलोग की फौज तैयार है. इधर से हम और उधर से तुम चलना. वहां अंगेजी फौज थोड़े है. आखिर इशारे का इंतजार करना.

मिनजानिब
बाबू कुंवर सिंह
मुहर कुंवर सिंह
बा : जसवंत सिंह
अगस्त 1856

पत्र – 3

अफ़सोस मेरा ठीक हाल मालूम हुआ होगा. दिल्ली के रवाने हो चुके. हमें अपनी जान की बाजी लगा देनी है. वक्त करीब है मगर मैदान में पटना अच्छा है. अफसोस तुम्हारे बारे में असद अली ने इतला कर दिया है. हमारा आदमी वहां पर मौजूद है. वह अंग्रेजों से मिला हुआ है. फौज अंग्रेजी उस तरफ जा रही है सो तुम इस पत्र को देखते ही घर छोड़ दो और हमसे जहां यह निसान बल लाएगा मिल जाओ. भगवान पर सब कुछ छोड़ दो. जिंदा गिरफ़्तारी से बेहतर है हम लोगों की लाश भी अंग्रेजों को न मिले. भगवान तुम्हारी रक्षा करेगा. इस फिकर से निसान तलब करना. हम भी वहां रवाना हो रहे हैं तुम फौरन वहां पहुंच जाओ.

मिनजानिब कुंवर सिंह (मुहर) कुंवर सिंह
बा: जसवंत सिंह

(ये तीनों पत्र के पी जायसवाल इंस्टीट्यूट, पटना में सुरक्षित हैं, जो कैथी लिपि में लिखे गए थे)

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