JDU 72 सीटें क्यों हारा? पता करने से पहले 5 कारण जानियेJDU 72 सीटें क्यों हारा? पता करने से पहले 5 कारण जानिये

JDU 72 सीटें क्यों हारा? पता करने से पहले 5 कारण जानिये

JDU 72 सीटें क्यों हाराा, पता करने के लिए माइक्रो लेवल पर अध्ययन शुरूा है.इर्शादुल हक उन 5 कारणों को गिना रहे हैं जो पार्टी के लिए आत्मघाती साबित हुए.

JDU 72 सीटें क्यों हारा? पता करने से पहले 5 कारण जानिये

चुनाव में 115 सीटों पर लड़ा JDU 72 सीटें हार गया. अब उसके आला नेता हार के कारण जानने के लिए बुथस्तर पर अध्ययन में लग गये हैं. लेकिन आइए हम उन कारणों की पड़ताल करते हैं जो पार्टी के लिए जानलेवा साबित हुए.

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Irshadul Haque, Editor naukarshahi.com

जनता का अविश्वास

पिछले पंद्रह वर्षों में नीतीश कुमार ने तीन बार अलायंस पार्टनर बदला. एक बार मुख्यमंत्री का चेहरा बदला लेकिन कभी भी सत्ता अपने हाथ से ना जाने दी. हर हाल में सत्ता से चिपके रहना. सत्ता मोह में जनादेश को दुत्कारना, और सत्ता ही को राजनीति का प्रयोजन बना कर नीतीश ने एक बड़ी आबादी में अपनी विश्वस्नीयता खो दी. इसका भी भारी खामयाजा जदयू को उठाना पड़ा.

लॉकडाउन और बेरोजगारी

जदयू के हार की सबसे बड़ी वजह बढ़ती बेरोजगारी, उसपर से लॉकडाउन में नीतीश सरकार की लापरवाही रही. इस कारण कोई 30 लाख लोगों को रोजी रोटी गंवाने की नौबत आ गयी. इस दौरान बाहर से बिहार लौट रहे लोगों को राज्य में ना आने देने की नीतीशिया जिद्द घी में आग का काम कर गयी.

पार्टी संविधान से हटना

समाजवाद और सेक्युलरिज्म के सिद्धांतों को अपना संविधान मानने वाले जदयू ने सत्तामोह में भाजपा के हर उस कदम को समर्थन दिया जिससे सेक्युलरिज्म और समाजवाद को भारी नुक्सान पहुंचा. सीएए जैसे खतरनाक कानून का संसद में समर्थन करना और साम्प्रदायिक सामंतवाद के भाजपाई एजेंडे का वाहक बनना जदू पर भारी पड़ा और वोटर उससे नाराज हुए.

भाजपा-आरएसएस का गुप्त एजेंडा

भाजपा ने एक गुप्त एजेंडा चलाया. इसके तहत अंदर ही अंदर नीतीश के खिलाफ हिंदुत्ववादी विचार के वोटरों को भड़काया गया. अगड़ी जातियों के बड़े हिस्से ने जदयू को वोट देने के बजाये या तो बुथ पर गये ही नहीं या जो गये उनमें से ऐसे वोटर भी थे जिन्होंने नोटा दबाया. भाजपा कार्यकर्ताओं की उदासीनता और जदयू के साथ असहयोग की बड़े पैमाने पर शिकायतें खुद चुनाव के दौरान जदयू के आला कमान को मिलती रही हैं.

चिराग फैक्टर

चिराग पासवान को भाजपा ने टूल की तरह इस्तेमाल किया, इस बात को भाजपा कभी स्वीकार नहीं करेगी. ना ही चिराग इस बात को कभी सार्वजनिक करेंगे कि उन्होंने नीतीश के खिलाफ चुन चुन कर प्रत्याशी क्यों उतारे पर अन्य अलायंस पार्टनर भाजपा को समर्थन क्यों किया. लेकिन यह एक बड़ा कारण है जिससे नीतीश कुमार और जदयू को भारी नुकसान उठाना पड़ा.

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