नरेंद्र मोदी भी उर्दू शेर कहने से खुद को रोक नहीं पाते तो समझा जा सकता है कि उर्दू दिलों पर राज करने वाली जुबान है

युनानी मेडिसीन में उर्दू भाषा महत्वपूर्ण स्थान रखती है. अगर उर्दू को विज्ञान, दर्शन और प्रोफेशन की भाषा बनायी जाये तो यह भारतीय भाषाओं में सर्वच्च स्थान प्राप्त कर सकती है.

आलमी उर्दू दिवस के अवसर पर आल इंडिया युनानी तिबी कांग्रेस विमेन विंग द्वारा पटना के अजीमाबाद में आयोजित कार्यक्रम  दौर ए हाजिर फरोग ए उर्दू जरूरत व अहमियत विषय पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए ये बातें कहीं.

वक्ताओं ने कहा कि उर्दू भारत की मिट्टी से विकसित भाषा है और इस जुबान की मिठास ही इसे अन्य भाषाओं से जुदा करती है.

यह कार्यक्रम प्रोफेसर फ़ज़्लुल्लाह क़ादरी की अध्यछता मे हुआ जिसमे पटना के अदीब और सहाफी शामिल हुए., प्रोग्राम का संचालन डॉ. अब्दुस सलाम फलाही ने किया,और कहा उर्दू मीरो ग़ालिब के अलावा पीरो मुर्शिद के असतानो की ज़ुबान भी है.

डॉ अब्दुल सलाम ने संचालन किया जबकि कायनात जहरा ने धन्यवाद ज्ञापन किया

युनानी तिबी कांग्रेस विमेन विंग का आयोजन

पिंदार के सम्पादक रेहान गनी ने कहा कि आज सरकार उर्दू अकादमी के माध्यम से उर्दू के लिए जो काम कर रही है वह  सराहनीय है लेकिन उर्दू को उसका हक तब मिलेगा जब हम सब इस जुबान को अपने आम जीवन में इस्तेमाल में लायेंगे.

प्रोफेसर वाहिद अंसारी ने कहा उर्दू वालों को सरकार ने रोज़गार से जोड़ने का काम किया है, फखरुद्दीन आरफी ने कहा हमलोग उर्दू को ज़रूर बढ़ावा दें. प्रोफेसर जावेद हयात  ने कहा कि आज नरेंदर मोदी भी अपने भाषण मे उर्दू के अशआर बोलते हैं. डॉक्टर ज़ियाउद्दीन प्रोग्राम के चीफ गेस्ट थे, और प्रोफेसर फ़ज़्लुल्लाह क़ादरी ने अध्यछता करते हुवे कहा कि उर्दू के मुजाहिद ने अपनी क़ौमी विरासत को बचाने और उर्दू को बढ़ावा देने का काम किया है.

आखिर मे डॉक्टर कायनात ज़हरा ने तमाम मेहमानों का शुक्रिया अदा किया. प्रोग्राम मे रज़िया शाहीन, शफ़ाअत करीम, हकीम अमजद शामिल थे.

 

 

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