चौपट होती भारत की अर्थव्यवस्था पर अब तक विपक्ष हमला कर रहा था लेकिन अब खुद वाजेपेय सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने ऐसी सनसनीखेज सच्चाई बयान किया है कि मोदी सरकार में हंगामा होना तय है.

 यशवंत सिन्हा ने कहा है कि  देशकी अर्थव्यस्था गर्त में जा रही है, इस सच्चाई को भाजपा के बड़े नेता भी जानते हैं पर डर से कोई मुंह नहीं खोल रहा है. सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस में ‘मुझे अब बोलना ही होगा’  ‘I need to speak up now’  शीर्षक से लेख लिखा है.

चुप नहीं रहूंगा

इस लेख में यशवंत सिन्हा ने मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली को देश की अर्थव्यवस्था को चौपट करने का जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा है कि –

”देश के वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था की हालत जो बिगाड़ दी है, ऐसे में अगर मैं अब भी चुप रहूं तो ये राष्ट्रीय कर्तव्य के साथ अन्याय होगा.”

यशवंत ने लिखा है, ”मुझे इस बात का भी भरोसा है कि मैं जो कुछ कह रहा हूं, यही भाजपा के और दूसरे लोग मानते हैं लेकिन डर की वजह से ऐसा कहेंगे नहीं.”

चुनाव हाले जेटली क्यों हैं खास

उन्होंने लिखा है कि अरुण जेटली  चुनाव हार कर भी वित्त मंत्री बना दिये गये. हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी ने जसवंत सिंह और प्रमोद महाजन के हार जाने के बाद मंत्रिमंडल में शामलि नहीं किया था.

 

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में जेटली कितने ज़रूरी है, इस बात का पता इससे चलता है कि जेटली को चार मंत्रालय दिए गए, जिनमें से तीन अब भी उनके पास हैं.

सिन्हा ने लिखा है, ”मैं वित्त मंत्री रहा हूं इसलिए जानता हूं कि अकेले वित्त मंत्रालय में कितना काम होता है. कितनी मेहनत की ज़रूरी होती है. कितनी चुनौतियां होती हैं. हमें ऐसे शख़्स की ज़रूरत होती है, जो सिर्फ़ वित्त मंत्रालय का काम देखे. ऐसे में जेटली जैसे सुपरमैन भी इस काम को नहीं कर सकते थे.”

नाकाम है नोटबंदी

उन्होंने लिखा है, ”आज अर्थव्यवस्था की क्या हालत है? निजी निवेश गिर रहा है. इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन सिकुड़ रहा है. कृषि संकट में है, कंस्ट्रक्शन और दूसरे सर्विस सेक्टर धीमे पड़ रहे हैं, निर्यात मुश्किल में है, नोटबंदी नाकाम साबित हुआ और गफ़लत में लागू किए गए जीएसटी ने कइयों को डुबो दिया, रोज़गार छीन लिए. नए मौके नहीं दिख रहे.”

सिन्हा के मुताबिक, ”तिमाही दर तिमाही ग्रोथ रेट धीमी पड़ रही है. सरकार के लोग कह रहे हैं कि इसकी वजह नोटबंदी नहीं है. वो सच कह रहे हैं. ये तो पहले से शुरू हो गया था. नोटबंदी ने आग में घी का काम किया.”

By Editor