कई बार लोग पूछते हैं-‘अक्ल बड़ी या भैंस’.जवाब सबको पता है.पर रेल घूस कांड में फंसे मंत्री पवन बंसल के भांजे ने अक्ल का सहारा लिया होता तो बकरे की जरूरत नहीं पड़ती.

पवन बंसल- काश भांजे ने अक्ल से काम लिया होता!
पवन बंसल- काश भांजे ने अक्ल से काम लिया होता!

बताया जा रहा है कि उनके परिवार वालों ने बकरे के टोटका का सहारा लेते हुए अपनी बला टालने की कोशिश की है इसके बावजूद बंसल को बकरे का टोटका काम नहीं आया और उन्हें पद छोड़ना ही पड़ा.

बंसल के भांजे विजला सिंगला द्वारा 90 लाख रुपये घूस लेते हुए पकड़े जाने के बाद पवन बंसल की कुर्सी खतरे में है, ऐसे में उनके परिवार वालों ने बकरे या बोतू पर अपनी बला उतार कर उनकी कुर्सी बचाना चाहते थे.

जब कुछ फोटोग्राफरों ने उस बकरे को बंसल के बाहर देखा और उसकी तस्वीर उतारने लगे तो पवन के बेटे मनीष इतने नाराज हुए कि उन्होंने फोटोग्राफरों को धक्का तक दे दिया. समय के फोटोग्राफर का कैमरा तूटते तूटते बचा.

हिंदू धर्म शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि अगर व्यक्ति बकरे की बलि चढ़ाता है तो उसकी मनोकामना पूरी होने के साथ उसके विपत्ति का भी खात्मा होता है. भारत-नेपाल सीमा के कुछ इलाकों में भैंसा की बलि देने का भी रिवाज है. खैर मान्यता चाहे जो भी हो लेकिन अब नहीं लगता कि बंसल की मनोकामना पूरी हो पायेगी. क्योंकि सोनिया गांधी खुद चाहती थीं कि बंसल को इस्तीफा दे देना चाहिए था.

उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने सिंघला को रेलवे बोर्ड के सदस्य महेश कुमार के लिए मलाईदार पद की व्यवस्था करने के लिए 90 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था.
हालांकि 64 वर्षीय बंसल का कहना है कि सार्वजनिक जीवन में उन्होंने हमेशा उच्च नैतिक मापदंड का पालन किया है और निर्णय लेने में उन्हें कोई प्रभावित नहीं कर सकता.

By Editor


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