आजादी के बाद राज्यसभा में बिहार से पहुंचने वाली कहकशां परवीन पहली पसमांदा (पिछड़ा) महिला होंगी.पढ़ें प्रभात खबर के वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार की रिपोर्ट

कहकशां
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बिहार बंटवारे के बाद यह पहला मौका है जब किसी राजनीतिक दल ने पसमांदा समुदाय से किसी महिला को उच्च सदन में भेजा है. जदयू ने ऐसा कर एक साथ तीन निशाना साधा है. महिला सशक्तीकरण, अल्पसंख्यकों को अपने दायरे में लाना और पसमांदा में अपनी पकड़ को और मजबूत करने की उसकी रणनीति साफ है.

राज्यसभा में अब तक बिहार से आठ महिलाएं ही पहुंच सकी थीं. झामुमो की ओर से 1952 से 54 तक अजंलिना तिग्गा राज्यसभा की सदस्य थीं. महिलाओं के राज्यसभा में प्रतिनिधित्व को लेकर राजनैतिक दलों में गहरी उदासी का भाव बना रहा. राज्यसभा में रिक्तियों की तुलना में महिलाओं की भागीदारी कम रही है. इस दौरान कांग्रेस की ओर से श्रीमती जहांआरा जयपाल सिंह, अजीजा इमाम, प्रतिभा सिंह, मनोरमा पांडेय, कमला सिन्हा, राजद की ओर से श्रीमती सरोज दुबे और उसके बाद वर्ष 2000 में राजद की ओर से ही श्रीमती कुमकुम राय को राज्यसभा भेजा गया था. इनमें ज्यादातर महिलाएं अगड़ी जातियों से थीं. बिहार का विभाजन 15 नवंबर 2000 को हुआ था. उसके बाद किसी भी समुदाय की महिला को राज्यसभा में जाने का मौका नहीं मिला. कहकशां परवीन 11 महिला होंगी जो राज्यसभा में बिहार का प्रतिनिधित्व करेंगी.

राज्यसभा सदस्य अली अनवर कहते हैंरू जहां तक मैं समझता हूं, राज्यसभा के गठन के बाद यह पहला अवसर है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक पसमांदा को राज्यसभा में भेजा है. अब तक देश के अलग-अलग राज्यों से जो भी महिलाएं राज्यसभा में पहुंचती रही हैं, वे अशराफ हैं. वे कहते हैं कि इससे पसमांदा आंदोलन को देश भर में प्रतिष्ठा हासिल होगी.

कहकशां परवीन की राजनैतिक यात्रा भागलपुर में वार्ड कौंसिलर से शुरू हुई. वह मेयर बनीं और फिर महिला आयोग की अध्यक्ष भी. 2010 के विधानसभा चुनाव में वह जदयू के टिकट पर कहलगांव सीट से चुनाव मैदान में थीं. पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. परवीन की पैदाइश रांची के डोरंडा में है. उनकी शादी भागलपुर में हुई और वहीं से राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत भी. उनके पति मछली के कारोबारी हैं.

राज्य में मुसलमानों की आबादी 16 फीसदी मानी जाती है. इस आबादी का 85 फीसदी हिस्सा पसमांदा मुसलमानों का है. ऐसे में जब मुसलिम वोट को लेकर राजनीतिक पार्टियों में जबरदस्त प्रतिद्वंद्विता मची है, तब जदयू ने कहकशां के मार्फत अपना संदेश स्पष्ट कर दिया है. नौकरशाही डॉट इन के एडिटर इर्शादुल हक कहते हैंरू इसे मैं क्रांतिकारी बदलाव के तौर पर देखता हूं. सामाजिक स्तर पर इसका गहरा राजनैतिक संदेश जायेगा. सामाजिक बदलाव की यह आहट है. साथ में यह भी राजनैतिक पार्टियों को विभिन्न सामाजिक शक्तियों के बारे में अपना नजरिया बदलना होगा.

राज्यसभा में बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाली महिलाएं

नाम दल

अंजेलिना तिग्गा झामुमो
विजया राजे —
लक्ष्मी एन मेनन —
श्रीमती जहांआरा जयपाल सिंह कांग्रेस
अजीजा इमाम कांग्रेस
प्रतिभा सिंह कांग्रेस
मनोरमा पांडेय कांग्रेस
कमला सिन्हा जनता दल
श्रीमती सरोज दुबे राजद
श्रीमती कुमकुम राय राजद

स्त्रोतरू राज्यसभा की वेबसाइट

साभार प्रभात खबर

By Editor


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