अपनी रेयर पांडुलिपियों और ऐतिहासिक दस्तावेज व पुस्तकों के लिए विश्वविख्यात खुदा बख्श लाइब्रेरी के निदेशक की नियुक्ति की उम्मीदें थोड़ी सी जगी हैं.
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक शिष्टमंडल को आस्वस्त किया है कि वह चार सालों से रिक्त पड़े निदेशक के पद को भरने के लिए केंद्र सरकार से पहल करेंगे.
गौलतलब है कि 2014 से इस विश्वप्रसिद्ध लाइब्रेरी के निदेशक का पूर्णकालिक पद रिक्त पड़ा है.जिसके कारण लाब्रेरी के सामने भारी प्रशासनिक संकट का सामना है.
राज्यपाल से इस सिलसिलेम में पूर्व आईएएस अफसर एमए इब्राहिमी, चिकित्सक एमए हई और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आजमीबारी ने मुलाकात कर आग्रह किया कि वह निदेशक की नियुक्ति के लिए पहल करें. राज्यपाल ने शिष्टमंडल को भरोसा दिलाया कि वह इस दिशा में काम करेंगे.
हालांकि पटना के प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर को पदभार मिला हुआ है लेकिन उनके जिम्मे जेल आईजी और बिहार बोर्ड के अध्यक्ष पदों जैसे तीन अतिमहत्वपूर्ण जिम्मेदारियां पहले से ही हैं जिस कारण वह वेतन भुगतान तथा अन्य वित्तीय कार्यों के अलावा कुछ नहीं कर पाते.
मालूम हो कि राज्यपाल खुदा बख्श लाइब्रेरी के गवर्निंग बोर्ड के चेयरमैन होते हैं. लाइब्रेरी के निदेशक पद पर केंद्र सरकार की नियुक्ति संबंदी कैबिनेट कमेटी के अप्रूवल से होती है. लेकिन पिछले चार वर्षों से इस पद को कार्यवाहक निदेशक के भरोसे चलाया जा रहा है जिसके कारण इस लाइब्रेरी की अधिकतम गतिविधियां बंद हो के रह गयीं हैं. यहां के कर्मियों के पास कोई काम न होने के कारण सबकुछ ठप सा पड़ा हुआ है.