इस्लामी विद्वान जाकिर नाइक की छवि बिगाड़ने के संघ और मीडिया के एक हिस्से के अभियान की कलई अब खुलनी शुरू हो गयी है. मुम्बई पुलिस ने सुबूतों के अभाव में उनकी संस्था के खिलाफ जांच की फाइल बंद कर दी है.
महाराष्ट्र के सीनियर अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि “हमारे लिए अनियमितता की जांच के लिए शिकायत का होना जरूरी है. इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के केस में, जिस पर 60 करोड़ रुपये अनुदान लेने का संदेह था, इस मामले में हमें कोई शिकायत नहीं मिली और न ही कोई इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने के लिए सामने आया इसलिए हमने इस मामले की फाइल की जांच बंद कर दी”.
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गौरतलब है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने खुद ही इस मामले में जांच करने का आदेश दिया था. उन्होंने तब कहा था कि जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को खाड़ी देशों से मिले अनुदान में अनियमितता का संदेह है और उनकी सरकार इसकी जांच करेगी.
महाराष्ट्र सरकार की जांच की कार्रवाई शुरू करने के तुरत बाद इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ने चुनौती दी थी कि 60 करोड़ रुपये के कथिन अनुदान के खिलाफ सरकार जिस तरह चाहे जांच करा ले.
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इस संबंध में मुम्बई पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने नाइक के खिलाफ तैयार की थी. इसी रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय और राज्य की एजेंसियों ने यहां तक ऐलान किया था कि वे इस्लामी रिसर्च फाउंडेशन का रजिस्ट्रेशन रद करने की प्रक्रिया शुरू कर रही हैं. जाकिर के इस एनजीओ के खिलाफ फारेन एक्सचेंज रेग्युलेशन एक्ट (एफसीआऱए) के तहत कारण बताओ नोटिस भी दिया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार जिन कम्पनियों या संस्थान के लिए खाड़ी देशों से 60 करोड़ रुपये अनुदान मिलने की बात कही गयी थी उसके प्रबंध निदेशक के पद को जाकिर नाइक ने 13 मार्च 2013 को ही छोड़ दिया था.
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