शहाबुद्दीन की पहचान भले ही एक आपराधिक छवि के नेता की हो पर इबादत के मामले में वह कोई समझौता नहीं बरतते. तिहाड़ जेल के लिए निकलने से पहले सीवान में उन्होंने तहज्जुद की नमाज अदा की, बेऊर जेल में फज्र की नमाज पढ़ी और ट्रेन में इशा व फज्र अदा करते तिहाड़ पहुंचे..
शुक्रवार-शनिवार के बीच की रात को दो बजे के बाद सीवान जेल से निकलने के पहले तहज्जुद की नमाज पढ़ के निकलने की अपनी जिद्दी पूरी की. हालांकि जेल प्रशासन उन्हें 12 बजे रात के पहले भेजना चाहता था. वहां से उन्हें पटना की बेऊर जेल भेजा गया जहां उन्होंने फज्र की नमाज अदा की. फिर शाम हुई तो सम्पूर्ण क्रांति ट्रेन में बिठाया गया. सूत्र बताते हैं कि उन्होंने ईशा और फिर फज्र की नमाज भी ट्रेन में पढ़ी और सुबह तिहाड जेल पहुंच गये.
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इससे पहले सीवान जेल से पुलिस प्रशासन उन्हें जल्दी ले जाने की जिद्द करता रहा लेकिन शहाबुद्दीन ने भी ठान ली कि वह तहज्जुद की नमाज पढ़ने के बाद ही जेल से निकलेंगे. उनकी इस जिद्द के आगे प्रशाशन को अपना प्लान बदलना पड़ा.
शहाबुद्दीन को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के आलोक में दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया है जिसमें अदालत ने आदेश दिया था कि उनकी सारी सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये तिहाड जेल से ही होगी.
आशआ रंजन और चंदा बाबू की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दिल्ली शिफ्ट करने का आदेश दिया 15 फरवरी को दिया था.
शहाबुद्दीन राजद के कार्यसमिति के सदस्य हैं और वह सीवान से सांसद रह चुके हैं. उनके ऊपर हत्या, फिरौती किडनैपिंग समेत 30 मामलों में आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं.