रामनवमी के दौरान नवादा पुलिस की गुंडागर्दी पर जदयू के विधायक सलमान रागिब ने पहली बार जुबान खोलते हुए जिले के एसपी व डीएम पर दंगाइयों का पक्ष लेने का संगीन आरोप लगा कर सनसनी फैला दी है.
इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम
सलमान ने कहा है कि एसपी विकास वर्मन और डीएम मनोज कुमार के इशारे पर पचास पुलिसकर्मियों का आतंक बड़ी दरगाह के दो दर्जन मुसलमानों के मकानों पर टूटा था तो इसी समय मेरे घर पर भी पुलिस ने राइफल के कुंदों और लाठियों से हमला बोला था. न सिर्फ पुलिस के जवानों ने बुजुर्गों को बेरहमी से हाथ-पांव तोड़े बल्कि लाखों के सामन को भी थुर-थार के तबाह कर दिया था. सलमान रागिब ने नौकरशाही डॉट कॉम को बताया कि जिस पुलिस पर समाज में शांति और सद्भावना बनाने की जिम्मेदारी है वही पुलिस वर्दी में आतंकवादियों के भेस में दमन की हदें पार कर रहे थे. सलमान ने राज्य सरकार से मांग की है कि इस वाक्ये में डीएम और एसपी के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज कर उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. ध्यान रहे कि सलमान सत्ताधारी जनता दल यू के विधायक हैं. सलमान ने कहा कि अगर पुलिस हमले के दौरान वह घर पर होते तो यातो वे हमारे हाथ पैर भी तोड़ देते या हमारी हत्या भी कर देते. एक सत्ताधारी दल के विधायक होने के बावजूद पुलिस ने नवादा के मुसलमानों के साथ रागिब पर जिस तरह कहर बन कर टूटी, इस पर उनका कहना है कि उन्होंने अपनी शिकायत आला कमान को पहुंचा दी है और अब उन्हें इस मामले में जवाबी कार्रवाई का इंतजार है.
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गौरतलब है कि 5 अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर दो समुदायों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गयी थी. इसे स्थानीय लोगों और दोनों समाज के बुद्धिजीवियों के हस्तक्षेप के बाद काबू में कर लिया गया था लेकिन शाम होते-होते पुलिस का आतंक बड़ी दरगाह, मुस्लिम मुहल्ला और शरीफ कॉलोनी समेत अल्पसंख्यक बहुल मुहल्लों पर तूट पड़ा. एक एक घर के दरवाजे तोड़ कर पुलिसकर्मियों ने अस्सी साल की बुजुर्ग महिला, ढ़ाई साल के बच्चों और महिलाओं को लाठियों और राइफलों के कुंदों से वरा किया. इतना ही नहीं स्थानीय महिला बिलकैश बानों ने अपनी तूटी अलमीरा को दिखाते हुए कहा कि पुलिस वालों ने घर की अलमारियों को तोड़ कर जेवरात तक लूट लिये. बिलकैश ने बीए में पढने वाली बेटी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि मैंने उसकी शादी के लिए जेवर और पैसे इसी अलमीरा में रखे थे, जिसे पुलिस वालों ने लूट लिया.
इस भयावह घटना से नवादा के अल्पसंख्यकों में भारी नाराजगी है. मज्लिस उलेमा के जुबैर अहमद मलिक ने कहते हैं कि पुलिस ने न सिर्फ बेरहमी से लाठी और राइफल के कुंदे बरसाये बल्कि ग्यारह साल के बच्चों से ले कर बूढ़ों तक को घसीटते हुए ले गये.
इस घटना से विचलित स्थानीय विधान पार्षद सलमान रागिब कहते हैं कि हम आला कमान द्वारा पुलिस जुल्म के खिलाफ उठाये जाने वाले कदमों की प्रतीक्षा कर रहे हैं. वह कहते हैं कि हम जद यू के कार्यकर्ता जरूर हैं लेकिन हमारा भी कोई जमीर है, हम नाइंसाफी और जुल्म के खिलाफ मुंह बंद नहीं रख सकते- सलमान रागिब
इस घटना से विचलित स्थानीय विधान पार्षद सलमान रागिब कहते हैं कि हम आला कमान द्वारा पुलिस जुल्म के खिलाफ उठाये जाने वाले कदमों की प्रतीक्षा कर रहे हैं. वह कहते हैं कि हम जद यू के कार्यकर्ता जरूर हैं लेकिन हमारा भी कोई जमीर है, हम नाइंसाफी और जुल्म के खिलाफ मुंह बंद नहीं रख सकते. ध्यान रहे कि सलमान रागिब नवादा में व्यापक जनाधार वाले नेता हैं और लगातार तीसरी बार स्थानीय निकाय का चुनाव जीत कर विधान परिषद पहुंचे हैं. जबकि पहले दो बार वह निर्दलयी चुनाव जीत चुके हैं. रागबि कहते हैं कि नवादा के 99 प्रतिशत लोग, जिनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों शामिल हैं, अमनपसंद हैं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बजरंग दल ने कुछ युवाओं को लालच दे कर और वरगला कर मोटरसाइकिल दस्ता का सदस्य बना लिया. 30 युवाओं का यह मोटरसाकिल दस्ता हर विवाद को साम्प्रदायिक रंग देने में लगा रहता है. मैंने कई बार इसकी शिकायत स्थानीय एसपी और डीएम से की लेकिन प्रशासन हमेशा गूंगा-बहरा बना रहा. रागबि कहते हैं कि साम्प्रदायिक राजनीति करने वाले कुछ लोगों ने नवादा के अमन को ध्वस्त करने का मंसूबा बना लिया है और इसमें स्थानीय प्रशासन उनका साथ देता रहा है.
रागबि कहते हैं कि रामनवमी की घटना इस बात का सुबूत है कि सजग लोगों के प्रयास से वहां दो समुदायों के बीच के तनाव को रोका तो जा सका लेकिन अंत में दंगाइयों को मौका नहीं मिला तो उन्होंने पुलिस से गुंडागर्दी करवा दी.
रागिब कहते हैं कि मैं विधान मंडल का सदस्य हूं, मेरे कुछ विशेषाधिकार हैं लेकिन पुलिस ने बिना किसी सर्च वारंट के मेरे घर पर हमला बोला और मेरे रिश्तेदारों को बेरहमी से पिटा. रागिब कहते हैं कि उन्होंने विधान परिषद के सभापति के समक्ष विशेषाधिकार का लिखित मामला उठाया है और हमें इंतजार है कि इस पर सभापति क्या एक्शन लेते हैं.
सलमान कहते हैं कि जब सदन का सदस्य सुरक्षित नहीं तो समझा जा सकता है कि आम आदमी का क्या हाल होगा. वह कहते हैं कि अगर हमारे रवैये पर पुलिस को भरोसा नहीं था तो उसे मेरे खिलाफ मुकदमा करती, मुझे अरेस्ट करती लेकिन मेरे खिलाफ कोई कानूनी कदम नहीं उठाया गया और बिना अधिकार के आम लोगों के साथ मेरे घर पर पुलिस द्वारा हमला बोला गया. वह कहते हैं कि ये सब इसलिए किया गया ताकि हमारे मनोबल को तोड़ा जा सके और हमारे जनाधार को कमजोर किया जा सके. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने राज्य सरकार को अंधकार में रखा और आला अधिकारियों को धोखा दिया.
नवादा में पुलिस जुल्म के खिलाफ लोगों में गोलबंदी बड़ी तेजी से बढ़ रही है. हाल ही में रिहाई मंच, इंसाफ इंडिया और मज्लिसे उलेमा ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और ऐलान किया है कि 4 मई को पुलिस जुल्म के खिलाफ पटना में महाधरना का आयोजन कर सरकार तक अपनी बात पहुंचायेंगे. उधर पुलिस जुल्म के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में शिकायत करने की तैयारी की जा रही है.