वरिष्ठ पत्रकार नवेंदु की पहचान है बेखौफ और बेबाक लेखनी. 35 वर्षों से वह इसी रुआब से डटे हैं जो बिहार की बागडोर संभाल रहे नीतीश- लालू से कह रहे हैं कि गौ गुंडे उनकी सीमा में घुस हैं सो चेत जाइए.
झारखंड के बाद दस्तक बिहार में भी देने लगे गौ गमछाधारी। कौन हरा और कौन भगवा…सब खेला खेल रहे। गर इस सवाल को उठाओ तो मोदी जी के दीवाने और हुड़दंगी ज़मात गलियाना शुरु कर देती है। या फिर ये सिद्ध करने में जुट जाती है कि आप तो मोदी विरोधी हैं। थोड़ा सलीकेदार हुए तो खीझ इस रूप में भी निकालते हैं कि हां हर बात के लिए मोदी जी ही कसूरवार हैं, ये तो सेक्युलर लोग कहेंगें ही! आदि-आदि… फिर तो इसके बाद मुद्दा पर चिंता और चिंतन ग़ायब हो जाता है।
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मोदी जी के दीवानों से कहना चाहता हूं कि ऐसा भी नहीं। ये वक़्त खीझने का नहीं। न ही भीड़तंत्र की आलोचना करने वालों को गलियाने का। क्योंकि कल गये काउंटर भीड़ के हत्थे आप भी चढ़ सकते हो। एक बात क्यों नहीं समझते कि मोदी जी हों या कोई भी शासक, सारे मोर्चे पर वो वीर बहादुर भी हो और सामाजिक मोर्चे पर अगर उसका कंट्रोल नहीं तो न यह देश बचेगा न कोई सरकार बचेगी। मोदी से बेइन्तहां मोहब्बत करने वालों, इस मर्म को भी समझो!
भगवा रंग को खूनी रंग बनने से रोकिये
नफरत और भेदभाव मूलक हिंसा एक अराजक देस-समाज की पहचान होती है गुड गवर्नड देश या राज्य की नहीं। यक़ीन जानिये इस पर काबू न पाया गया तो इसमें सबका नुकसान है। भगवा रंग को खूनी रंग बनने से रोकिये!
बिहार की समेकित विकास और सेक्युलर सरकार का तमगा बांधे बैठी नीतीश-लालू सरकार से भी कहना है कि देखिये आपकी भी सरहद में घुस आए गौ गुंडे और केसरिया गमछा बांधे उपद्रवियों की ज़मात। कुछ ही रोज़ पहले मुजफ्फरपुर- समस्तीपुर इलाके में जो हुआ वो शांत बिहार को अशांत और रक्तरंजित करने की आयातित साज़िश है।
एक पत्रकार मुन्ने भारती(एनडीटीवी)और उनके परिवार को मज़हब के आधार पर गौ गुंडों ने जिस तरह सरेराह निशाना बनाया, वह हम सबकी चिंता बढ़ाती है।…इसे रोकिए! इसे रोकिए कि ऐसी आग बिहार जैसे सूबे में न भड़के। बिहार बचा रहेगा तो देश भी बच जाएगा। क्योंकि वे यही चाहते हैं कि बिहार को जीत लो तो फिर पूरा देश उनकी मुट्ठी में।…सावधान!!