#NotInMyName एक देशव्यापी आंदोलन का रूप ले चुका है और अब यह पटना तक पहुंच चुका है. सोशल मीडिया से उठा इस आंदोलन में गाय प्रतीक के तौर पर उन मुट्ठी भर लोगों से कह रही है कि हत्या उसके नाम पर ना करें
यह आंदोलन धर्म की आड़ में भीड़ के द्वारा एक समुदाय के लोगों की हत्या करने के खिलाफ मुखर आवाज है जो दिल्ली से पटना तक पहुंच चुका है. पटना में सिटिजन ऑफ पटना के बैनर तल कारगिल चौक पर आवाज उठाई गयी. उधर दिल्ली के जंतरमंतर पर ऐसी ही आवाज मुखर हुई.
गौरतलब है कि यह आंदोलन ईद से पहले जुनैद नामक युवक को भीड़ ने उसकी धार्मिक पहचान के चलते हत्या कर दी जबकि ईद के बाद झारखंड में उस्मान अंसारी नामक 55 साल के बुजुर्ग को गोवध के आरोप में पीट-पीट कर अधमरा कर दिया गया. इतना ही नहीं उस्मान के घर को भीड़ ने जला डाला.
पिछले तीन वर्षों में ऐसी घटनायें रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. ऐसी ही असहिष्णुता के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में आवाज उठने लगी है. जंतर मंतर पर लोगों ने कहा कि किसी के खाने पीने और उसकी मजहबी पहचान के खिलाफ समाज में नफरत घोली जा रही है जो देश को तबाही की तरफ ले जा रहा है. जबकि सिटेजन आफ पटना के कार्यकर्ताओ ने एक खास मजहबी पहचान रखने वालों की पीट पीट कर हत्या करने के खिलाफ आवाज बुलंद की. इस विरोध प्रदर्शन में शिवानन्द तिवारी, निवेदिता झा, रूपेश , अरशद अजमल, हसन नवाब हसन , इबरार रज़ा, अफाक अहमद समेत काफी संख्या में लोग मौजूद थे.
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि मुट्ठी भर लोग देश भर के अलग अलग हिस्सों में सामुदायिक घृणा फैला कर भारत की एकत को तार तार करने में लगे हैं. इबरार रजा ने कहा कि पिछले तीन सालों में ऐसी वारदात लगातार बढ़ रही है.इसलिए इस नफरत के जहर के खिलाफ मजबूत आवाज उठा कर वैसे लोगों के मनोबल को तोड़ने की जरूरत है.