इस साक्षात्कार में पढिये कि कैसे बेलाग-लपेट बोलने वाले अनंत सिंह कभी विवादों को जन्म देते हैं तो कई बार विवाद खुद उन्हें घसीट कर अपने दामन में बिठा लेता है.
इर्शादुल हक, सम्पादक नौकरशाही डॉट इन
आप राजनीति में कैसे आ गये ?
हम कहिओ राजनीति में नहीं आना चाहते थे. हम कोई नेता के द्वारे नहीं गिये. विधानो सभा में दु-चारे दिन गिये होंगे. जब बूझते हैं कि हमारा नेता गुस्सायेगा तब डर से चले जाते हैं.
कुल कितना दरमाहा- वेतन होता होगा, ईहो हम नहीं जानते. हमरा तो आज तक दरमाहा हुआ ही नहीं.
दरमाहा नहीं मिलता है आपको?
जाई दसखतवा करे तब ने मिलेगा.
तो सरकार के यहां ही पैसा रह जाता है?
हां रह गया.
अच्छा?
हम जीवन में टरेन चढ़बे न किये. प्लेन चढ़बे न किये. त ऊ पैसा देगा? कहता है कि चढ़ियेगा तो पैसा देंगे.
वेतन तो मिलता है?
वेतन तो… कोई बोलता है जे दसखत कैला पर डेढ़ लाख मिलता है. हमरा 22 हजार मिलता है. उहो हम लिये नहीं हैं. उहो जमा होगा.
कितने साल से वेतन नहीं लिये?
कभी हम नहीं लिये. एक बार मिला ता सात लाख हमरा. तो ओही जा बांट दिये. विधाने सभा में. ढेर लोग था तो हम बोले की बांट लो तुमही लोग.
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अनंत सिंह है तो विवाद है, अनंत सिंह खत्म, विवाद खत्म
एक विधायक को सरकार की तरफ से आने जाने के लिए डिजल पेट्रोल का पैसा मिलता है.
मिलता होगा, हम कुछ नहीं जानते हैं. मिलता होगा तो हमरा अदमी सब जानता होगा.
तो आप कुछ नहीं जानते?
ना कुछ नई.
मोकामा के जद यू एमएलए के बारे में यह कहना मुश्किल है कि उनके संग कौन और किस तरह का विवाद कब जुड़ जाये. हालांकि यह भी सच है कि उनका और विवादों का रिश्ता चोली और दामन के जैसा है. कई बार वह विवादों को खुद ही जन्म देते हैं पर कई बार ऐसा भी होता है कि कई विवाद उनके सर पर मढ़ भी दिया जाता है. हाल ही में मीडिया में यह खबर छपी कि उन्होंने राजू सिंह नामक एक जमीन कारोबारी से दस करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी. लेकिन जैसे-जैसे इस विवाद की परतें खुली अखबार और चैनल शांत हो गये. इस मामले में अनंत ने एक मीडिया हाउस पर मानहानि का मुकदमा भी ठोका. कोई बार ऐसा भी हुआ कि सोशल मीडिया में उनके बारे में बात का बतंगड़ बना. लेकिन ऐसा हर्गिज नहीं है कि अनंत सिंह का दामन पाक साफ है. वह कई लोगों की हत्या, फिरौती, रंगदारी, जमीन हड़पने के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
आप अपने हक के प्रति भी लापरवाह हैं, क्यों?
हम लापरवाह हैं शुरू से. हम पढ़े लिखे नहीं न हैं. पढ़े-लिखे का उमर था तो साधू के जौरे भागल रहे सभी दिन. हम परवाह करते तो एकाध अच्छर पढ़े नहीं आता? हमरे द्वार पर जिनगी भर मास्टर रहा. हमरे बाबू जी के 300 बिगाहा जमीन था. हम कौनो चोर परिवार के नहीं न थे कि चोरी करते. पढ़ने में मन नहीं लगता था तो भाग जाते थे.
आपके पिता जी की आत्मा को क्या लगता होगा? इतना सबकुछ होते हुए वह आपको नहीं पढ़ा-लिखा पाये.
बाबूजी हमर साधु- संत थे. ऊ तो कुतियों को नहीं मारे. आ गोली जहिया हमको लगा न, तहिये मर गिये. कोई कह दिया कि गोली लगने से मर गया अनंत, तो ऊहो मर गये.
सोशल मीडिया पर एक और फोटो वाइरल हुआ था आपका. जिसमें तबके मुख्यमंत्री आपके सामने हाथ जोड़े खड़े हैं. लोग कह रहे थे कि अनंत सिंह के सामने नीतीश कुमार गिड़गिड़ा रहे हैं.
ऊ… अच्छा. ये तो आप पत्रकारों ने कलाकारी किया था.. चलिए अंदर.
…..वह हमें अपने घर के अंदर ले जाते हैं. और एक सीडी दिखाते हैं. जिसमें अनंत सिंह कई नेताओं के संग नीतीश कुमार का स्वागत करने के लिए खड़े हैं. दोनों एक दूसरे को हाथ जोड़ कर अभिनंदन करते हैं. चूंकि नीतीश कुमार हाथ जोड़े हुए आगे बढ़ कर अन्य लोगों का अभिवादन स्वीकर करते हैं, इसी बीच अनंत सिंह अपना हाथ नीचे कर लेते हैं. और जो तस्वीर वाइरल हुई है वह इसी पोज की है. जिसमें लोगों को यह बताया गया है कि नीतीश कुमार अनंत सिंह के सामने हाथ जोड़े खड़े हैं और चुनाव में मदद की गुहार लगा रहे हैं.
यू ट्वीब पर एक विडियो है. जिसमें आपको डॉन के रूप में पेश किया गया है. एक गीत भी आप पर फिल्माया गाया. बोल है… ‘हम हिये मगहिया डॉन’. आखिर यह छवि क्यों?
ऊ.. उदित नारायण सनिनेमा बना रहा था. हमसे दस्तखत करवाया. तो हमको डॉन की तरह पेश किया. तो हम बोले कि ई सब तरह का फिल्म हम नहीं करेंगे. लेकिन गाना बन गया था तो वही चला. वही यूट्यूब पर होगा.हमको पहले बोलता कि ऐसा सिन करना पड़ेगा तो हम तैयार नहीं होते.
उस विडियो से भी आपकी छवि डॉन की बन गयी है.
ऊ तो हम नहीं जानते हैं.
बिहार को आप कैसा देखना चाहते हैं?
बिहार में हम चाहते हैं कि शांति रहे. अदमी को जेन्ने जाये के मन हो ओन्ने जाये. ब्याह-शादी करे.
तो क्या बिहार में शांति है?
हैइए है शांति. थोड़ा कमी बेशी तो होते रहता है.देखिए.. राजनीति पर हमसे जादे सवाल करियेगा तो गड़बड़ा जायेगा. वैसे भी हमरा नाम कोई संत के रूप में लेता नहीं है.
अच्छा बतायें… लालू और नीतीश साथ हैं. इसका क्या असर होगा?
खुब्बे असर होगा. दोनों दल मिलके चुनाव आसानी से जीत जायेंगे.
ऐसे में मुख्यमंत्री कौन होगा?
नीतीशे कुमार न होंगे, औउर कौन होगा.
यादव और भूमिहार एक साथ हो सकते हैं क्या?
अइबे करेंगे. जैसे ही हुआ कि लालू-नीतीश मिल गये तो दोनों मिलके पटाखा छोड़ा.