भारतीय संविधान: धार्मिक स्वतंत्रता की वारंटी और उत्प्रेरको का अपकेंद्र

भारत की विरासत में प्रजातंत्र की जड़े मजबूत हैं. इसमें देश के बहुत धार्मिक समाज की पृष्ठभूमि में, हमारे विद्वान प्रतिनिधियों द्वारा तैयार किए गए संविधान के माध्यम से मुस्लिमों को धार्मिक स्वतंत्रता की वारंटी प्रदान करने के  अलावा, उकसाने वाली फूट डालने वाली ताकतों के नकारात्मक प्रभाव से समुदाय को बचाने का प्रभाव धान है.

 

भारत की विरासत में प्रजातंत्र की जड़े मजबूत हैं इसमें देश के बहुत धार्मिक समाज की पृष्ठभूमि में हमारे विद्वान प्रतिनिधियों द्वारा तैयार किए गए संविधान के माध्यम से मुस्लिमों को धार्मिक स्वतंत्रता की वारंटी प्रदान करने के साथ उकसाने वाली फूट डालने वाली ताकतों के नकारात्मक प्रभाव से समुदाय को बचाने का प्रभाव धान है

 
यहां के प्रत्येक मुस्लिम बिना बमबारी फायरिंग की आशंका जोखिम के जैसा कि इस्लामिक देशों में होता है नमाज अदा करता है भारतीय नागरिकों का समन्वय आत्मक संस्कृत सही सुनता और एकता सत्री हित प्रजातंत्र में गहरा विश्वास जो अति वादियों आतंकवादियों को उनकी घड़ा फूट डालने और चालबाजी से सताने की उनकी अश्विनी क्स पर शक उद्देश्यों को फैलाने से रोकता है मासूम युवाओं का एक मैंने सिकल शाखा जो गलत जिहाद के नाम पर प्रभावित हुए और अतिवाद आतंकवादी बने जब उन्होंने किन तत्वों की गलत मंशा को जान जाने के बाद अथवा राष्ट्रीयता और परिवार सामाजिक एकता की अपील करने के बाद अपने परिवार और संबंधियों के पास लौट आए




भारतीय सामाजिक परंपरा में समन्वय आदि संस्कृति और अंत निर्भरता की जटिलता विभाजना कारी ताकतों के खिलाफ विरोध के रूप में भी कार्य करती है इसी प्रकार प्रगति शील इस्लामिक देश संयुक्त अरब अमीरात में सामुदायिक विभाजन का प्रयास और घृणा फैलाना दंडनीय अपराध माना गया है पवित्र कुरान और पैगंबर बलपूर्वक किसी के विश्वास को बदलने का विरोध करते हैं और सद्भावना शांति आदि सहित अन्य धर्मों धार्मिक प्रतीकों की सही सुरता सम्मान में खड़े रहते हैं हमारा पड़ोसी व्यवहार सहित इस्लामिक देशों के प्रतिबंधित तत्वों के व्यवहार पर सामुदायिक विभाजन घृणा से लाकर अपराध करने वाले मुट्ठी भर लोगों का समुदाय प्रतिनिधियों के द्वारा अभी ज्ञात उजागर दूर करने की आवश्यकता है
 
 
 
इसी प्रकार समुदाय को देश को प्रज्ञा तांत्रिक रूप से मजबूत बनाने के अलावा शांति एवं गौरव के साथ सभी भारतीयों के बीच प्रेम और अंत निर्भरता की शिक्षा देने की आवश्यकता है
यहां का प्रत्येक मुस्लिम बिना बमबारी, फायरिंग की आशंका व जोखिम, जैसा कि इस्लामिक देशों में होता है, नमाज अदा करता है.
भारतीय नागरिकों की समन्वयक संस्कृत सहिष्णुता और एकता सन्नहित प्रजातंत्र में गहरा विश्वास, जो अतिवादियों/ आतंकवादियों को उनकी  फूट डालने और चालबाजी से सताने के उनके उद्देश्यों को फैलाने से रोकता है.


मासूम युवाओं का एक मिनिसिकल शाखा जो गलत जिहाद के नाम पर प्रभावित हुए और अतिवादी/ आतंकवादी बने, जब उन्होंने इन तत्वों की गलत मंशा को जान जाने के बाद अथवा राष्ट्रीयता और परिवार, सामाजिक एकता की अपील करने के बाद अपने परिवार और संबंधियों के पास लौट आए.भारतीय सामाजिक परंपरा में समन्वयवादी संस्कृति और आत्मनिर्भरता की जटिलता विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ विरोध के रूप में भी कार्य करती है. इसी प्रकार प्रगति शील इस्लामिक देश संयुक्त अरब अमीरात में सामुदायिक विभाजन का प्रयास और घृणा फैलाना दंडनीय अपराध माना गया है.
पवित्र कुरान और पैगंबर बलपूर्वक किसी के विश्वास को बदलने का विरोध करते हैं. और सद्भावना शांति आदि सहित अन्य धर्मों व धार्मिक प्रतीकों की सहिष्णुता, सम्मान में खड़े रहते हैं. अंशत: हमारा पड़ोसी व्यवहार सहित इस्लामिक देशों के प्रतिबंधित तत्वों के व्यवहार पर सामुदायिक विभाजन/ घृणा फैलाकर अपराध करने वाले मुट्ठी भर लोगों का समुदायिक प्रतिनिधियों  द्वारा अभिज्ञात/ उजागर/ दूर करने की रूरत है.
 
इसी प्रकार समुदाय को, देश को प्रज्ञा तांत्रिक रूप से मजबूत बनाने के अलावा शांति एवं गौरव के साथ सभी भारतीयों के बीच प्रेम व अंत:निर्भरता की शिक्षा देने की आवश्यकता है

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427