मानव तस्कर गिरोह के जाल में फंसकर बिहार के सैकड़ों लोग खाड़ी देशों में अमानवी जीवन जीने को मजबूर हैं. इसबीच पूर्वी चम्पारण के रउफुल आलम ने इराक से अपनी दर्दनाक कहानी परिवार वालों को भेजी है.
इस दर्द भरी कहानी में रऊफुल ने कहा है कि उससे ‘गलत’ काम करवाने पर मजबूर किया जाता है. इस मामले के उजागर होने के बाद रऊफुल के भाई सैफुल आलम ने विदेश मंत्रालय और स्थानीय डीएम से सम्पर्क साधा है.
सैफुल के परिवार वालों ने गोपालगंज के कलाम कोईनी नामक मानव तस्कर की पहचान उजागर की है जिसने रऊफुल के परिवार वाले से 15 हजार रुपये ले कर जून महीने में उसे दुबई भेज दिया.वहां उसे एक अब्बुअली नाम के इराकी के हाथों बेच दिया गया. इराक में जिस आदमी से बेचा गया उसका कहना है कि उसने रऊफुल को एक हजार डालर में खरीदा है.
सैफुल के अनुसार उसके भाई के साथ और 11 लोगों को बंधक बना कर रखा गया है. इराकियों का कहना है कि यदि कोई घर जाना चाहता है तो पैसे दे कर अपने-अपने घर जा सकता है। रौफुल के मुताबिक उसके चार साथी पैसा चुका कर वापस आ रहे थे लेकिन उनको भी एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया।
पिछले दिनों ओमान से वापस निकल कर आये एक युवक ने नौकरशाही ड़ाट काम को बताया कि उसने अपने घर वालों से 40 हजार रुपये मंगवाये और उन मानव तस्करों को अदा करके बड़ी मुश्किल से अपनी जान छुड़ा कर वापस आया.
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों से ऐसी सैंकड़ों घटनाये सामने आयी हैं. बिहार के कोने-कोने में मानव तस्कर युवाओं को रोजगार के नाम पर खाड़ी के देशों में भेजवाते हैं. जहां ये युवा रोजगार की उम्मीद में तो जाते हैं लेकिन उन्हें घरेलू गुलाम बना कर कैद कर लिया जाता है.